जो भी हुआ इतिहास में
उसका कारण कौन थे।
क्योंकि तुम मौन थे।
कही लुटती रही आबरू
बेच दिया तुम्हारी पहचान।
आखिर ये सब क्यों हुआ
क्योंकि तुम मौन थे।
तुम्हारे जमीन पर आकर वो
सामने सामने नफरत बोते रहे।
तुमने कुछ नही कहा केवल सोते रहे।
उन्होंने इस फुलवारी को
कुरुक्षेत्र बनाकर रख दिया।
तुम्हारे सामने तुम्हारे पहचान को
ज़मीन पे रौंदकर रख दिया।
कही भ्रम फैला कर।
तुममें आपसी रंजिश करा कर।
वो तुम्हारे सामने ही करते रहे।
क्योंकि तुम मौन रहे।
तुमने ये तक नही सोचा
की आने वाला वक्त तुम्हे कोसेगा।
ज़ख्म और भी गहरा होगा
जब वक्त बीतने पर कोई पूछेगा।
ये सब हुआ क्योंकि तुम मौन थे।
तुम अपने किये पर
भले लाख शर्मिंदा हो।
तर्क वितर्क करके देखों
तुम अभी तक जिंदा हो।
सोचों की वास्तव में कौन थे।
कारण केवल क्योंकि तुम मौन थे।।
प्रकाश कुमार मधुबनी'चंदन'
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