*आत्मीय रिश्तों को नव वर्ष 2021 का मेरा नमन अभिनंदन शुभ वंदन*
वादियों से अनुगूंज भोर की अंगड़ाई
प्रकृति बनी दुल्हन साँझ से शरमायी
पवन की अठखेलियाँ शीतल अम्बर
स्वर्ग की अनुभूति प्रेरक बना समंदर।
धरती गुनगुना रही पुष्प बहार आई
चाँद सितारे मौन स्वर्णिम ऋतु छाई
हो सुख समृद्धि संतुष्टि स्वस्थ सुंदर
खु़शियों भरा नव वर्ष का कैलेण्डर।
*हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं!!!*
*मधु भूतड़ा*
*गुलाबी नगरी जयपुर से*
0 टिप्पणियाँ