सुखदेव टैलर,निम्बी जोधाँ ‌जी द्वारा अद्वितीय रचना# वसुधैव कुटुम्बकम#

"वसुधैव कुटुंबकम्" की विचारधारा के साथ नववर्ष
मैं यह नही कहुँगा कि "कोई मुझे नई साल पर 
शुभकामना मत देना,मेरी नई साल तो चैत्र मास में
शुरू होती है" अपितु नई साल की शुभकामनाएँ स्वीकार भी करुँगा और दूँगा भी क्योंकि मैं सनातनी हूँ। और एक सनातनी मानव "वसुधैव कुटुंबकम्"(पूरी सृष्टि मेरा परिवार है) में विश्वास रखता है। साथ वो अपने परिवार को भी नही भूलता मतलब अपने धर्म, देश और अपने देश की संस्कृति को भी नही भूलता। सो मैं हमारी भारतीय नववर्ष  को शुभकामना देता हूँ और स्वीकार करता हूँ।
मुझे खुशी सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता के कारण हमारे लोग फिर से हमारी पावन संस्कृति की तरफ लौट रहे हैं और पिछले चार पाँच सालों से हमारे लोग हमारे नववर्ष की शुभकामना भेज रहे हैं। परन्तु हमें अन्य धर्मों, अन्य देशों के कुछ तुच्छ मानसिकता वाले लोगों की तरह नही बनना है । हमें हमारी पावन संस्कृति "वसुधैव कुटुंबकम्"का भी अनुसरण करना चाहिए। कहने का अर्थ हमें सच्चा हिन्दुस्तानी बनके रहना है।और ऐसाबहुत से लोग करते भी हैं।पर कुछ लोग इसके विपरीत जा रहे जो इतिहास को देखकर स्वाभाविक भी है। क्योंकि जब मैं इतिहास से M.A.( मास्टर ऑफ आर्ट्स) कर रहा था और  मैंने इतिहास पढा तो मेरा भी ख़ून खोल उठा था।
पर हमें यह भी ध्यान देना होगा कि पिछले 700-800 वर्षों में हमारी संस्कृति में छुआछूत, जातिवाद आदि कुरुतियाँ भी तो घर कर गई थी।अब ऐसा नही है सो हमें जागरूकता के साथ"वसुधैव कुटुंबकम्" की विचारधारा का पालन करना चाहिए।सो मैं आपको अंतरराष्ट्रीय नववर्ष की घणी घणी शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ।।
आशा करता हूँ आप मेरी शुभकामना स्वीकार करोगे और मुझे भी शुभकामना दोगे। और साथ ही आप सभी यह अपेक्षा भी करता हूँ कि आप भारतीय नववर्ष पर भी एक दूसरे को शुभकामनाएँ प्रेषित करेंगे।
मौलिक आलेख
✍️ सुखदेव टैलर,निम्बी जोधाँ ‌,
       नागौर, राजस्थान
      मो.9783251182

नोट- केवल सनातनी कहने से सनातनी नही होता, सनातन धर्म पर चलना सीखों। झूठे आडम्बरों से सनातनी नही हो सकते।।

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