निर्दोष लक्ष्य जैन जी द्वारा#यही सच है एक लघुकथा#

यहीं सच है 
                सत्य लघु कथा 
आज साल का पहला दिन अस्वस्थता के कारन नींद 
 लग भग बारह बजे खुली । मेरी नजर चार्ज में लगे मोबाइल पर पड़ी मेने मोबाइल खोला उसमे चार काल 
थी मुझे आश्चर्य तो हुवा आज साल के पहले दिन सिर्फ चार काल । उसमे सबसे पहली काल जो पाँच बार आई थी वो मेरी बिटिया कल्पना की थी , दूसरी काल चितौड़ गढ़ से बहन डा चन्दा डांग की तीसरी काल श्री चक्रेश जैन ओर चौथी काल श्री स्नेह लता जी की थी । ये नियमित काल थी जो रोज मेरी तबीयत की जानकारी के लिये आती है । मेने सभी कॊ काल कर नव वर्ष की शुभ कामनाएँ ओर अपनी कुशलता की जानकारी दि । अंत में बिटिया कॊ काल की उसने फोन उठाते ही रोना शुरू कर दिया आप फोन भी नहीँ उठाते हो मेने समझाया बेटा फोन सही नहीँ है वो बोली में कल नया भेजती हूँ मेने मना कर दिया । फिर बोली पापा आज अखबार में हमारा फोटो छपा है मेने कहा हा नव किरण ग्वालियर पेपर में उसकी एक कविता छपी थी मेने उसे बधाई दि बोली पापा आपको पता है बीते साल ने मुझे बहुत कुछ दिया मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा साल था मेंने कहा केसे बोली बीते साल ने हमें पापा दिया बोली पापा भगवान भी इससे प्यारा गिफ्ट नहीँ दे सकता उसकी बातों से मेरी आँखे भीग गई उसके बाद वह मोबाइल पर ही झूम झूम कर गाने लगी मेरा पापा मेरा हीरो जो मेरी लिखी कविता है उसने पूरी सुना दि । फिर बोली पापा केसी लगी मेंने कहा मेरा बेटा मेरा हीरो 
       यहीं सच है जिंदगी का रिश्ते खून से नहीँ दिल से बनते है । 
                   निर्दोष लक्ष्य जैन

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