नया साल मुबारक हो --
नये साल में खुशियों को पंख लगे छू ले आसमाँ,
धरा के नेह दुलार से नित पलते बढते हैं इंसान!
दो हजार इक्कीस शुभ दिन मंगल मुबारक बने,
जग हर्षाने को स्वर्णिम प्रकाश लाये हैं भगवान!
जीवन में सुख शांति के मृदुल कुसुम खिले,
प्रीत नेह के रंग रूप से मन उपवन से महके!
अनुरागी प्रीत वफाओं से प्रेमरंग झोली में बरसे,
परिवार में संतुष्टि हो एक दूजे से दिल गले मिले!
दो हजार इक्कीस शुभ दिन मंगल मुबारक बने।
शूल बने फूल, महकती रहे ये बसंती बहार ,
छूटे दुख के बादल, सुगंध भरी बहे रसधार !
मनोरथ सिद्ध हों सबके जिया में करार रहे,
पावन मनोभावना से खुशहाल धराधाम रहें!
दो हजार इक्कीस शुभ दिन मंगल मुबारक बने।
अमर चितेरे ने तूलिका से छवि नवबर्ष बनाई,
नूतन दिनकर से कलियाँ घूँघट खोल मुस्काईं!
सुख शांति बरसे वसुधा पर सुन्दर स्वर्ग बने,
मन हो मधुबन श्याम प्रेम के रंग से रंग जाये!
दो हजार इक्कीस शुभ दिन मंगल मुबारक बने।
सीमा गर्ग मंजरी
मेरी स्वरचित रचना
मेरठ
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