साधना मिश्रा विंध्य जी द्वारा खूबसूरत रचना#क्या खोया क्या पाया#

मंच को नमन 

दिनांक- 31/ 12/ 2020
दिन- बृहस्पतिवार
विधा -कविता
विषय-क्या खोया क्या पाया 2020

ख्वाबों में भी तेरा में जिक्र ना भूलूंगी
जो दी तूने सौगात मरते दम ना भूलूंगी।

मजदूरों के पैरों के छाले ना भूलूंगी
महंगे हुए निवाले में बेशक ना भूलूंगी।

अपनों से अपने जुदा हुए मैं कैसे भूलूंगी
लाचारों की रुसवाई मैं कभी ना भूलूंगी।।

राम मंदिर का शिलान्यास में कैसे भूलूंगी
सरयू तीर की भव्य दिवाली कभी ना भूलूंगी।।

लालजी टंडन मोती लाल और प्रणव की विदाई ना भूलूंगी
सरहद पर जो हुई शहादत कैसे भूलूंगी।।

एकांत में मनाए तीज त्यौहार कभी ना भूलूंगी
आजादी का हुआ पलायन मैं कभी ना भूलूंगी।

ईश्वर बन जो हाथ बढ़े वह छांव ना भूलूंगी
ताली ताली दीपक का मैं दृश्य ना भूलूंगी।

टिड्डियों का आतंक जो छाया कभी ना भूलूंगी
आपदा में खुले मदिरालाय कभी ना भूलूंगी।

ख्वाबों में भी तेरा में जिक्र ना भूलूंगी
जो दी तूने सौगात मरते दम ना भूलूंगी।।


साधना मिश्रा विंध्य
उत्तर प्रदेश लखनऊ

मैं साधना मिश्रा विंध्य प्रमाणित करती हूं कि यह मेरी स्वरचित मौलिक अप्रकाशित रचना है।

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