*नमन बदलाव मंच*
*प्रतियोगिता हेतु मेरी स्वरचित रचना*
*दिनांक-30/12/20*
*विषय-नया साल नए संकल्प 2021*
*विधा-काव्य*
*शीर्षक-नये साल के नये मंसूबे*
ये नये साल के मंसूबे ,
युं तो कहते हैं मेरे तजुर्बे
कि विचार कर काम किये जाते है
ज़िन्दगी किसी योजना की मोहताज नहीं होती
पर फ़िर भी मन की पतंग उड़ती है आसमानो में ,
और खींची जाती है कुछ डोरें
और मन की माला में पिरोये जाते हैं मंसूबे
नये साल के नये मंसूबे
हर साल की तरह इस साल भी,
पलकों की छाँव में , सजाएँ हैं कुछ मंसूबे
विचार है जिंदगी के मुकाम पाने में
कुछ मंसूबे और सजाने का
थोड़ी मुस्कुराहटे बाँटने का
कुछ आँसू चुराने का
और पिछले साल की तरह
इन मंसूबे की सीढ़ीयों में
एक और कदम बढाने का
ये नये साल के नये मंसूबे
इस साल ,कुछ नये हम , साथ लिए
ये नये साल के नये मंसूबे।।
*गरिमा विनित भाटिया*
*अमरावती महाराष्ट्र*
*garimaverma550@gmail.com*
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