बदलाव मंच को नमन
कविता शीर्षक_ 2020
कुछ दोस्तों को पाया कुछ अपनों को खोया
2020 में मैं कभी हसा तो कभी रोया।
कुछ लोग दिल में बस गए
कुछ लोग नजर से उतर गए।
कुछ रिश्ते पीछे छूट गए
कुछ रस्ते नए मिल गए।
कभी किसी को मनाया
तो कभी कोई रूठ गया।
2020 में मैं कभी हसा तो कभी रोया।
कुछ बातें दिल में चुभ गई
कुछ यादें ज़हन से निकल गई।
कुछ ज़िन्दगी लगी हसीन
तो कुछ ज़िन्दगी लगी बुरी भी।
कभी रातो को मैं जगा
तो कभी मैं चैन से सोया।
2020 में मैं कभी हसा तो कभी रोया।
पूजा परमार सिसोदिया
आगरा ( उत्तर प्रदेश )
pujaparmar89@gmail.com
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