शीर्षक:--मनमीत
××××××××××××××
सॉसों का है घरौंदा,
आबाद जिन्दगी है,
मनमीत तुमको पाकर,
खुशहाल जिन्दगी है ।1।
गुजरे थे हम जहाँ से,
ख्वाबों का था शहर ,
अफसोस हमने सोचा,
बरबाद जिन्दगी है ।2।
मिलते न गर मुझे तुम,
मंजिल कभी न मिलती ,
हाथों में हाथ तेरा ,
अलमस्त जिन्दगी है ।3।
चाहत हर एक लम्हा,
हो खुशनसीब सबका,
जिसकी दुआ मिली है,
मेरे दिल की बन्दगी है।4।
जब-जब लगी है ठोकर,
अपनों के पॉव थे ,
गैरों का था सहारा,
हॅसती ये जिन्दगी है ।5।
देती रही नसीहत ,
गीता को सारी दुनिया,
चल कर मुकाम हासिल,
मुकम्मल ये जिन्दगी है ।6।
गीता पाण्डेय अपराजिता
रायबरेली (उ0प्र0)
0 टिप्पणियाँ