गीता पाण्डेय अपराजिता जी द्वारा खूबसूरत रचना#मनमीत#

शीर्षक:--मनमीत
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सॉसों का है घरौंदा,
आबाद जिन्दगी है,
मनमीत तुमको पाकर,
खुशहाल जिन्दगी है ।1।

गुजरे थे हम जहाँ से,
ख्वाबों का था शहर ,
अफसोस हमने सोचा,
बरबाद जिन्दगी है ।2।

मिलते न गर मुझे तुम,
मंजिल कभी न मिलती ,
हाथों में  हाथ  तेरा ,
अलमस्त जिन्दगी है ।3।

चाहत हर एक लम्हा,
हो खुशनसीब सबका,
जिसकी दुआ मिली है,
मेरे दिल की बन्दगी है।4।

जब-जब लगी है ठोकर,
अपनों  के  पॉव  थे ,
गैरों का था सहारा,
हॅसती ये जिन्दगी है ।5।

देती  रही  नसीहत ,
गीता को सारी दुनिया,
चल कर मुकाम हासिल,
मुकम्मल ये जिन्दगी है ।6।

गीता पाण्डेय अपराजिता
रायबरेली (उ0प्र0)

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