तिथि 05 - 02 - 2021
विषय है:- ज़िन्दगी दो पल की
विधा गद्य / मुक्तक
व्यसन बुरा हर कोई कहता
पढ संदेश ध्रुमपान है वर्जित
छल्ले उडाते कश लगा लगा
स्वस्थ जीवन में आग लगाता
शराब चरस गांजा हेरोइन बीडी तम्बाकु
पान पराग पान मसाला सेवित सुस्वादु
सरकार और विक्रेता हो रहे मालामाल
आम जनता लूटके हो रही है कंगाल
व्यसन शुरु होता है बुरी संगत से
कोई करे शौकिया कोई मजबूरी से
समय रहते जो चेत गये जीत जाते
ना चेते खुद मर मर सबको मारते
अस्पताल के चक्कर काट कुंठा से भरते
दवाई देखभाल में परिवार को डूबा देते
वेदना से तडफ कर शय्या में पडे रहते
ना सह पाते ना देख पाते ना कह पाते
अंत समय निकट जान ना सुमिरन कर पाते
बुरे व्यसन का अंत आँखो सामने देख रोते
कहते सभी से हाथ जोड व्यसन है बुरी बला
सरकार इस पर रोक क्यों नहीं लगा पाते।
जितने भी व्यसन है सरकार तुरंत रोक लगाये
अमीर गरीब कोई भी हो स्वस्थ जीवन को पाये
सच्ची खुशहाली तब ही होगी देश मेरा स्वस्थ होगा
सारे जग में स्वस्थ तिरंगा हिन्दुस्तानी परचम होगा।
ये मेरी मौलिक रचना है और इसे प्रकाशन का आपको सर्वाधिकार है।
अनिल मोदी, चेन्नई
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