प्रकाश कुमार मधुबनी'चंदन'जी द्वारा खूबसूरत कहानी#अन्नू का संघर्ष#

*स्वरचित रचना*
*अन्नू का संघर्ष*

अन्नू सुबह सुबह उठी तो रोज की तरह चिल्लाई मम्मी मम्मी
कहाँ हो।मम्मी बोलो ना,बोलो तो ये आवाज लगाते हुए जोर जोर से पूरे घर में घूम ली लेकिन मम्मी नही मिली तभी अर्चना
आंटी ने जवाब दिया बेटा तुम्हारी माँ यहां नही है।वो कही गई है साम तक आ जाएंगी तुम जाकर तैयार हो जाओ।मैं नाश्ता लगा देती हूँ।ये सुनते ही अन्नू को पूरा घर जेल की तरह लग रहा था। यू तो हर रोज उसे महारानी की तरह महसूस होता था।
किंतु आज उसे पूरे घर माँ के बिना बिलकुल अच्छा नही लगता था।अन्नू के समझ में आखिर आज माँ बिन बताये कहाँ चली गई।अन्नू को अचानक उसे ध्यान आया रात में पापा व मम्मी के आपसी झगड़े के आवाज का ,कही उसी कारण तो नही कही मम्मी बिना बताये घर छोड़कर तो नही चली गई।
अन्नू ये सोच कर जोर जोर से रोने लगी।अन्नू की आवाज सुनकर आंटी आई अन्नू क्या हुआ क्यों रोना धोना लगा रखा है।चुप हो जाओ तुम्हारे पिताजी सो रहे है।चलो अब नास्ता कर लो। अन्नू बोली मुझे नही खाना तभी आंटी ने दो चार थप्पड़ लगा दिए। फिर क्या था।अन्नू पूरे दिन रोते हुए बैठी रही। साम को अन्नू के सामने अर्चना आंटी ने दो रोटियां व बैगन की सब्जी डाल दी। अन्नू को बिल्कुल अच्छा नही लग रहा था।कुछ खाई नही थी क्या करे आखिर समझ में नही आ रहा था। रोते रोते सो गई।रात में जब उसकी नींद टूटी तो पिताजी को शराब में धुत्त होकर चिल्लाते सुना।कि अर्चना अब तुम ही मेरी पत्नी हो मैं हरगिज़ नही चाहता कि प्रीति यहाँ आये।आखिर वो समझती क्या है वो अपने आपको।
अन्नू उम्र से 13 वर्ष की थी किन्तु उसकी सोच 33 वर्ष मानो 
मुझे कहती थी कि पीकर मत आया करो।एक तुम हो मुझे कभी पीने से नही रोकती बल्कि अपने हाथों से पिलाती हो। तुम मेरी जान हों।तुम मेरी सबकुछ हो।ये कहते हुए शराब का बोतल फोड़ दिया।ये अन्नू किवाड़ के ओट से सुन रही थी।उसे बहुत रोना आया वो बहुत व्याकुल हो गई किन्तु उसका सुनने वाला कौन था।यू तो पहले अन्नू की माँ थी जो उसके सर पर प्रेम से हाथ फेर देती थी तो उसको जैसे जड़ी बूटी मिल जाता था।अब कौन था भला जिससे वह कहती कि उसका शरीर जल जा रहा है। पूरी रात वह सो नही पाई।अर्चना अब ना तो किसी से बात करती थी नही किसी से मिलती जुलती थी।अब सुबह सुबह कहाँ कोई पूछने वाला था।पिताजी तो बस उस अर्चना आंटी के साथ अगले कमरे में पड़े रहते थे।अब क्या था
अन्नू को अकेलेपन खाये जा रहा था किंतु वह क्या करे।अब समय बीतते गए व अन्नू अकेलेपन से बचने के लिए अन्नू ने लेखनी को अपनी सहेली बना लिया।वह बन्द कमरे में लिखती रहती है।
*प्रकाश कुमार मधुबनी'चंदन'*

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