बुरा न मानो होली है #दीपक क्रांति, जी द्वारा खूबसूरत रचना#

बुरा न मानो, होली है.. !!
मुझे होलिका दहन करने में नहीं,
 लंका-दहन करने में मज़ा आता है, 
अरे ढोंगियों  
एक भातृभक्त स्त्री को जलाकर 
 कौन सा महान काम कर लोगे..
जलाना है तो उन होलिकाओ के अहंकार को जलाओ 
जो खुद स्त्री होकर स्त्री से जलती हैं 
तो कभी 
स्त्री होकर भी 
स्त्री को ही जला डालती  हैं.. 
उस समय कौन बचाने आता है.. 
और अब भी.. 
देते रहो शुभकामनाएं जलने-जलाने की... 
वैसे भी अकेले किसी को कोई जलाता कहाँ है !!

दीपक क्रांति, संस्थापक, बदलाव मंच

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