रीमा ठाकुर जी द्वारा विषय 'पीले फुल' पर खूबसूरत रचना#

मुक्ति (पीले फूल)रीमा ठाकुर ( लेखिका)
भाग ---3
अब तक माँ को ,जमीन पर सुला दिया गया था।नीरु वही जमीन पर बैठी,माँ को भावशून्य देखे जा रही थी""""""
सपाट चेहरा,आँखो से,झरझर बहते आँसू,""""
अचानक,से नीरु की नजरो .के सामने,जाने कितनी ,तस्वीरे उभरने लगी,,,,
माँ कितनी खूबसूरत थी,बिल्कुल  गोरा मुखडा ,धानी साडी मे तो साक्षात .अप्सरा दिखती थी,बाबा भी तो माँ के दिवाने थे"
वो माँ को कभी छोडती ,न थी !माँ भी तो उसे कितना प्यार करती थी।जब छोटा भाई ,कोख मे आया तो,माँ बहुत रोई"
माँ ,नही चाहती थी!की उनकी बेटी का प्यार बँटे,,,,,
फिर दादी ने बहुत समझाया,की बेटी घर चली जाऐगी तो"
कौन सम्भालेगा""""
कुछ महीनो बाद रूई सा मुलायम गोरा चिट्टा भाई माँ की गोद मे था।नीरू को तो जैसे खिलौना मिल गया"""""
दिन बीत जाता पता ही नही चलता,,,,,
कुछ दिनो तक सब अच्छा चलता रहा,फिर माँ बीमार  रहने लगी"उनका गोरा मुखडा तबाँई होने लगा'''''
शरीर सूखने लगा,फिर धीरे धीरे,माँ कमजोर होती चली"गई
बहुत इलाज करवाया पर कोई फर्क न पडा""""":
कुछ दिन पहले दादी चल बसी,अब माँ को संभालने वाला कोई न था!
नीरू समय से पहले बडी हो गई ,जिस उम्र मे बच्चे खेलते उस उम्र मे नीरू चौका चूल्हा और भाई को सम्भाँलने लगी""""""
कुछ समय पहले ,माँसी,भाई को अपने साथ ले गई,
और घर मे पेसे की कमी के,चलते ,बाबा को भी शहर 
जाना पडा""""
पडोस मे काका काकी रहते,थे,,
जो उनके लिऐ भगवान से कम नही थे""""
नीरू कहाँ खो गई"उठ जा बेटा"""
काकी की  आवाज से उसकी  तन्द्रा टूटी,,,
सामने उसकी दोस्त मधु खडी थी""""मधु उसके करीब आ 
गई"""""
मधु ने नीरू को भीचकर गले लगा लिया"हमदर्दी मिलते ही नीरू ""सिसक पडी,
मधु देख माँ नही बोल रही,मधु कुछ न बोल पाई"उन दोनो की सिसकियों से सारा महौल गमगीन हो गया"""""":कृमशः
आगे जारी भाग --4""""""      रीमा ठाकुर ✍️🏻🙏🏼
प्रिये पाठको आपको ये भाग कैसा लगा जरूर बताये """"
आगे बहुत दिलचस्प मोड आने वाला हे।🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

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