नई टेक्नोलॉजी और हमारा जीवन#मधु अरोड़ा जी द्वारा अद्वितीय रचना#

नई टेक्नोलॉजी और हमारा जीवन
 
  अब से लगभग 50 साल पुरानी है। जब घरों में ज्यादा सुख सुविधाओं के साधन नहीं होते थे, कमाने वाला एक और खाने वाले 10 लोग होते थे ।क्योंकि तब संतान भी ज्यादा होती थी ,एक कमाता था सब खाते थे। उस समय
 एक या दो बच्चों का चलन नहीं था ,5,6 या इससे भी ज्यादा बच्चे हुआ करते थे ।घर की छोटी से छोटी सुख सुविधाएं की चीजें आना दिल को खुश कर दिया करता था।
  जैसे कुकर, गैस धीरे-धीरे टेलीविजन आ गया जिसे देखकर तो खुशी का ठिकाना नहीं रहता था बस सप्ताह में एक पिक्चर एक चित्रहार आया करता था धीरे-धीरे धारावाहिक आने शुरू हुए और फ्रिज को तो लोग ठंडे पानी की मशीन कहते थे छोटी-छोटी वस्तुएं पता नहीं धीरे-धीरे कैसे हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गई पता नहीं वह चीजें कैसे मां-बाप लाते थे धीरे-धीरे टेलीफोन आ गए बोलने में पहले किसी एक के यहां आता था तो उसी का नंबर दे देते थे जिंदगी धीरे-धीरे आसान होने लगी जीवन में सुख सुविधाओं के साधनों ने जगह लेनी शुरू कर दी वाशिंग मशीन कूलर एसी जैसी वस्तुएं अहम होती चली गई आने जाने के साधन सुगम होते चले गए सरकार ने है राज्य हर छोटे बड़े गांव की तरक्की पर ध्यान दिया बस रेल और हवाई जहाज की सुविधाएं आसानी से उपलब्ध होने लगी अब दूरियां कम हो गई और अब 2०, 25 साल से फोन आते चले गए धीरे-धीरे फोन लेना अब इतना आसान हो गया और अहम हो गया कि बिना फोन के जीवन जीने की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता घरों में जितने लोग हैं उतने ही फोन में वाई फाई नेट लैपटॉप आदि सब से व्यापार और लोगों से बात करने का ढंग बदलता चला गया पिछले साल कोरोनावायरस के फैलने सेजीवन इन आधुनिक उपकरणों के कारण आसानी से काटा गया।
   ज़ूम पर मीटिंग के जरूरी काम बच्चों के क्लासेज इत्यादि होने लगे और कोरोना के चलते ,हम -तुम भी इस उपकरण के जरिए जुड़ गए अच्छे-अच्छे लेख को को पढ़ने और दोस्त बनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ रश्मिरथी प्रतिलिपि बदलाव मंच आदि से जुड़ने का अवसर प्राप्त हुआ प्रतिभाशाली लेखकों के लेख पढ़ने और सुनने का अवसर प्राप्त हुआ इन उपकरणों के जरिए एक दूसरे को देख कर वीडियो कॉलिंग कर दूर होते हुए भी निकट होने का एहसास हुआ ।
  गूगल के जरिए तो न जाने कितनी परेशानी समाप्त हो गईआसानी खाना बना लो ।जहां जाना जगह पूछ लो, सब कुछ इसके माध्यम से सीख लो, एक साथ कहीं जवाब मिल जाते हैं।  उपकरणों का जीवन में खास स्थान होता जा रहा है ।
  परंतु इन सब के साथ कुछ दोष भी समाज में फैल रहे हैं बच्चे ऑनलाइन शिक्षा के कारण मोबाइल प्रेमी हो गए हैं कुछ वह अपने मन से खेलते हैं, और कुछ मां-बाप लेकर बैठा देते हैं ।मेरा मां-बाप से अनुरोध है कि वह बच्चों को उतनी ही देर फोन दे जितना जरूरी है अन्यथा शरीर के सब अंगों पर उसका असर पड़ेगा वह तो सब जानते हैं कि सब चीजें फायदे की नहीं होती हर चीज के कुछ नुकसान भी होते हैं वैसे यह आधुनिक टेक्नोलॉजी हमारे बहुत काम की है अगर हम इसका सही इस्तेमाल करें तो?
                      स्वरचित 
                      दिल की कलम से 
                      मधु अरोड़ा
                       8.4 .2021
                      शाहदरा ,दिल्ली

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