रीतु प्रज्ञा जी द्वारा अद्वितीय रचना #सायली छंद#

दिनांक:-28-03-2021
विधा:-सायली छंद
शीर्षक:-आया फिर
मन
है प्रफुल्लित
रंगों का मौसम
आया फिर
हुलसाने।

चहुंओर
फिजा रंगीन
मिटा कलुषित निशान
होठ सबके
मुस्काए।

नशा
लगा सबको
प्रेम रंग का
दिखे आलम
मदहोश।

बरसे
सकल जहान
रंगों की बदरी
झूमती बदन
मदमस्त।

     रीतु प्रज्ञा
   करजापट्टी, दरभंगा, बिहार
स्वरचित एवं अप्रकाशित

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