आलेख-क्या आप भी रो रहे हो#

क्या आप भी रो रहे हैं।
आलेख।
आज की हर तरफ की बीमारी से हर कोई आहत है, दुःखी है, सब सोच रहे काश यह नही होता, आप ने महाभारत देखी होगी, विशाल जन समूह के बाद चंद लोग जब बचे थे वे कह रहे थे काश ऐसा नही होता, सोचो और मनन करो अभी सभको मौका दिया है ईश्वर ने, और कहा भी है कि महाभारत युद्ध के बाद कलियुग आया ताकि लोग समझ कर सयझे पर नही हम तो हम थे सौ नही समझे ,देखे क्या समझना है, आप ने दो भाईयो को देखा होगा, कौरव और पांडवो को, फिर आज भी हमारी दुनिया मे यह दो भाई है, यानी आधे लोग सत्य पर चलने वाले और आधे लोग अनीतियों पर हम सब के साथ ईश्वर कृष्ण है पर हम उनकी और देखते तक नही, हम सबके मामा बन गये है शकूनी और वे चाले चलते रहते है और हम सब भी उनकी जालसाजी मे आते रहते है, अब यह शकुनी मामा है कौन ,तो यह.वे लोग है जो बीमारियों को फैलाते, धन को राज को सबकुछ समझते, वे पासे चट भी हमारी पट भी हमारी पर रहते है, जो ईश्वर विराट रूप मे खडा है उसे ना देखकर भीड किधर है, धन और राज्य किसके पास है हमे किधर से मिल जाएगा, किधर जनसंख्या ज्यादा है मै लगे है, निहत्थे वही ईश्वर को हम नही पाना चाहते कारण हमे उस परमपिता पर विश्वास ना होकर शकुनी जैसे चालबाज लोगो पर विश्वास है, अब तुम रोते हो, तो रोओ तुमने किसका साथ लिया, सबका उतर एक है अन्याय का ,तुमने क्या किया, सबका उतर छल ,कपट किया, तुम सब किसमे ललचाए ,सबका उतर धन पर ललचाएं हमने धोखा दिया ,सबका उतर हां, तुमने द्रोपदी को भरी सभा मे घसीटा  सबका उतर हां क्यो.नारियो का अपमान किया, क्यो उनकी लाज लेनी चाही, क्यो उनका अपमान किया, क्यो पुरूष है कहकर हंसे, क्यो पराई नारी को बहु ,भाभी देवी ना मानकर उसकी चीर हरण की कोशिश की ग ई ,बस यही वह समय है जब महाभारत हो रहा है, लगता है क्या कि यह घटना.पुराने जमाने की है ,नही लगता ना, क्यो कि हम आजकल रोज महाभारत होने देते है काल को तैयार रखते है और उसमें बताया था समय को बोलते हुए, बस आज भी समय बोल रहा है, महाभारत चल रहा.है,.नीति अनीति का युद्ध हो रहा है,अब हम क्या करे, तो अभी हम बिल्कूल दो नम्बर से पैसे कमाने की सोचना बंद करे सनातन और पुरातन की संस्कृति अपनाएं, केवल मै और मेरी आत्मा मे रहे स्वास्थ के लिए.स्वयं का जागना जरूरी है, चालाकियों से दूर रहे, लुटपाट ,से दूर रहे, चुपचाप घर मे बैठकर माला ,ध्यान, योग करे, मस्त और व्यस्त रहे ,दूसरो को मात देने वाली सोच छोडे ,वरना ईश्वर को गुस्सा आता है, प्रकृति कोप करती है, म ई के महिने के बाद कोरोना खत्म होगा या कम होगा, हम सबको एक साथ ईश्वर की प्रार्थना करनी चाहिए ,यज्ञ का बता ही दिया है वातावरण शुद्ध तो कहने का तात्पर्य यह है कि अभी जो रोने का समय चल रहा है उसे हम हंसने का समय बना सकते है, थोडा सा अच्छा रहकर, बोलकर, अपने आपमे विश्वास करके ,बहुत कुछ अच्छा कर सकते है, 
अतः उठे और महाभारत के पाण्डवो की और चले अभी भी वक्त है बच सकते है, दूर्योधन, दूशासन की और ना जाएं ताकि जितनी सांसे है उनमे अच्छे से जी सके और हमारी और ईश्वर हो सके, हम जीत सके।
जितना हो मानवता अपना ले ,ताकि ईश्वर की दया लेने काबिल बन सके, वरना वही दृश्य दिखाई दे रहा है जो महाभारत मे बताया था।
उठो ,सोचो और सकारात्मकता अपनाओ, ईश्वर भजन करे।
ममता वैरागी तिरला धार

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