समय बडा बलवान है।#ममता वैरागी जी तिरला धार द्वारा अद्वितीय रचना#

समय बडा बलवान है।
आज से पांच वर्ष पूर्व तक जहां नर्सिगं और इसके काम को लोग नजर अंदाज करते थे।
आज वही नर्से और डाक्टर मिलकर हर वक्तजूझ रहे है।
वक्त पलटता है।
सेवा करने वालो को मेवा जरूर मिलता है।
आज इस वक्त जितने भी सेवाभावी है।
हर वक्त वे पीडितो के आशीष पा रहे है।
रक्षक बने पुलिस और सेवा करते अस्पताल के अलावा।
बहुत से जन ऐसे है ,जो निकल पडे मानवता की मिसाल लिए।
कोई रक्त दान कर रहा, कोई प्लाजा दे रहा।
आक्सीजन ,रूपयो से कोई मदद कर रहा है।
हर कोई किसी ना किसी रूप मे भगवान बन रहा है।
देख देख लगता है, ये वक्त ना आया होता।
समझ ही नही पाते कि इंसानियत कैसी होती है।
माना पतझर के मौसम मे पत्ते टुटकर बिखर गये।
आंधियो के दौर मे अपने जन छुट गये।
पर फिर भी गर्व है, देख भारत का गौरव।
जहां अन्य देश भी मदद करने को तैयार मानव।
आज लग रहा यह क्षण भले बीत जायेगा।
पर हर लम्हा यहाँ कायह इतिहास बन छायेगा।
जिसमे आपदा के साथ विपदा आई भारी।
फिर  भी हिम्मत हौसलो से उसे मात दी वह  हारी।
 कयामत ना बनने दी ,कयामत होने वाली 
बस चंद रोज और फिर यह बीमारी भागने वाली।
जिंदगी की मुश्किल घडियो मे, एक दूजे का हाथ थामे।
चल पडे वे लोग जो सेवा मे साथ कामे।
बहुत बडी ही नही सच बहुत बडी यह बात शान है।
जिसमे शासन, प्रशासन तक करता सबको सलाम है।
आओं और रखले हम थोडा सा विश्वास कर लिएं
निकल जायेगा यह वक्त भी ,फिर न ई उमगं लिएं ।
न ई कपोले डालियों को फिर हराकरदेगी।
और हर चमन मे बहारे फूलो को महका लेगी।
ममता वैरागी तिरला धार

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