पिता का प्यार#मधु अरोड़ा द्वारा कविता#

कविता
     
      पिता का प्यार
    प्यार पिता का इतना है ,
    कुछ न कह पाऊं मैं।
    उनका रोम-रोम है ,
    ऋणी यह कैसे भूल पाऊं मैं।
    कदम कदम पर राह दिखाता,
    भले बुरे का ज्ञान कराता ।
     दुनियादारी हमें सिखाता ,
     ऊपर से कठोर है दिखता।
     तरुवर की छाया सा होता ।
     अंदर से मन का कोमल,
     बेटे के लिए जान है ।
     बेटी का अभिमान है,
     बच्चों की पूंजी है ताकत ,
     प्यार भरी छत का भान है,
     परिवार का ठोस आधार है।
     घर को एक बनाकर रखता,
      उसका त्याग  किसी को  न दिखता ।
       मां की ममता तो दिख जाती,
       पिता का प्यार समझ नहीं आता।
      मां ममता, तो पिता प्यार भरा छाता है।
       दुख सुख की छांव से वहीं तो बचाता है।
       खुद दुख सह कर,
       पूरी जिंदगी बच्चों के नाम पर जाता है ।
       नमन है उस पिता को मेरा नमन है।
                          मधु अरोड़ा

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