सादर समीक्षार्थ
विषय - कोयल
विधा - बाल गीत
कोयल कितनी काली होती
बोली इसकी मीठी होती
सभी लोगों के ही दिलों को
इसकी बोली है हर लेती..।।
कोयल कितनी काली होती
इसकी बोली आम सी मीठी
नहीं किसी को है कुछ देती
पर सब का मन ये हर लेती..।।
कोई न इसकी बात समझता
यह सब को ही प्यारी लगती
अपनी मीठी बोली से ही
यह सभी का मन बहलाती..।।
बच्चों तुम कोयल से सीखो
मीठे बोल सभी से बोलो
सभी से ही तुम प्यार करो
निर्बलों का तुम बल बनो..।।
वाणी पर संयम रखकर तुम
सबके मन में बस जाओगे
बिन चाहे ही सारे जग के
राज दुलारे बन जाओगे ..।।
डॉ. राजेश कुमार जैन
श्रीनगर गढ़वाल
उत्तराखंड
0 टिप्पणियाँ