गुस्सा.....#निर्मल जैन 'नीर' जी द्वारा अद्वितीय रचना#

गुस्सा.....
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क्या
आफ़त आई
नाक पर गुस्सा
क्यों रहता
भाई
समझ
लेना भाई
गुस्सा करो शांत
होती जग
हँसाई
मत
कर लड़ाई
भीतर लगी आग 
प्रेम पूर्वक
बुझाई
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निर्मल जैन 'नीर'
ऋषभदेव/उदयपुर
राजस्थान

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