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क्या
आफ़त आई
नाक पर गुस्सा
क्यों रहता
भाई
•
समझ
लेना भाई
गुस्सा करो शांत
होती जग
हँसाई
•
मत
कर लड़ाई
भीतर लगी आग
प्रेम पूर्वक
बुझाई
•
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निर्मल जैन 'नीर'
ऋषभदेव/उदयपुर
राजस्थान
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