मधु अरोड़ा जी द्वारा विषय शांति स्वरूपा मन पर खूबसूरत रचना#

शांति स्वरूपा मन
   अरे मन तू है शांति स्वरूपा,
    इधर-उधर तू डोलता ।
    शांति का खजाना तेरे भीतर,
    फिर क्यों तू है बोलता ।
    छोटी छोटी चीजों में शांति,
    बरबस ही है ढूंढता।
    पानी की इच्छा पर पानी,
     शांति बस इसी में ढूंढता ।
    धीरे-धीरे शांत बैठ मना ,
    अपने मन में खोता जा ।
     जिसने जन्म दिया है तुझको ,
       है उस पर हर परेशानी का भार।
      तू तू अपने आप को जाने कर्ता,
      इसलिए तू नाहक परेशान ।
      चींटी से हाथी तक सबके,
      खाने की व्यवस्था करता है परवरदिगार।
      तू तो मात्र मोहरा‌,
      फिर तू क्यों है परेशान।
      बैठ जा परम पिता के चरणो मे,
      वह हमारेशांति का धाम ।
       ढूंढ ले अपने भीतर ,
      तेरे भीतर शांति अपार।।
      
                         दिल की कलम से
                         मधु अरोड़ा

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