निर्मल जैन 'नीर' जी द्वारा विषय प्रेम मिलाप पर खूबसूरत कविता#

मेल मिलाप...
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रखो
मेल मिलाप
व्यर्थ मत करो
किसी से
अलाप
मधुर
हो वार्तालाप
दूसरों से समक्ष
व्यर्थ होता
विलाप
मुख
हो मिठास
मिट जाती नफरत
हृदय की
खटास
स्वस्थ
हो परिहास
फैले चारों तरफ़
ख़ुशियों का
प्रकाश
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निर्मल जैन 'नीर'
ऋषभदेव/उदयपुर

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