नफरत किसने फैलाया है
कहाँ था देश हमारा हमने इसे कहाँ ले आया है।
बगिया जो चहकती थी कभी किसने दहलाया है।
शान्ति भाईचारे का प्रतीक हुआ था जो कभी।
फिर क्यों और आखिर किसने नफरत फैलाया है।
कोई दिवाली मानता था कोई ईद मनाया करता था।
एक दूसरे को गले जो लगाते फासले मिट जाता था
क्या हुआ ऐसा यहाँ किसने अब दंगा फैलाया है।
मजहब धर्म के नाम पड़ जाने किसने इन्हें लड़वाया है।
लगती थी साधुओं की टोली कही फकीर नजर आते थे।
कही पढ़ी जाती गुरुवाणी, कही हनुमान चालीसा गाते थे।
पग पग मर रही इंसानियत, ऐसा क्यों घामासान मचाया है।
अब क्यों और आखिर किसने यहाँ नफरत फैलाया है।
आओ भारतवासी लौटे इन नेताओं के चक्कर न में आएं।
इससे पहले रो दे धरती माता,क्यों न नफरत दीवार गिरा दे।
ईस्वर अललाह सभी एक है फिर हमें किसने बहकाया है
मजहब धर्म के नाम पड़ जाने किसने इन्हें लड़वाया है।
प्रकाश कुमार मधुबनी'चंदन'
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