माँ भारती के वीर

छेड़ा था हमें नापाक,
दी थी मोहलत,
अमन, चैन और हालात,
समझ नहीं आती न सीधी बात,
की थी तुमने जो शुरुआत,
सोचा कुछ तो दें सौगात,
ऊधार हम रखते नहीं,
चुकाते जरूर हैं, पर सूद के साथ,
और कहो......
कैसा रहा सुप्रभात,
नेस्तनाबूद हुआ तेरा पोशाक,
धुआं धुआं है हर ओर देखो,
पहले भी कई बार किया है ,
हमने ऐसों का काम तमाम,
देख रहा जहाँ ये सारा, 
किया हमने पक्का इंतज़ाम,
भूगोल ही बदल देंगे हम,
ऐसा होगा परिणाम,
मां भारती की है सौगंध हमें,
उभर न पाओगे उम्र तमाम।
✍डॉ सत्यम भास्कर भ्रमरपुरिया ✍ डायरेक्टर आयुस्पाईन हास्पिटल दिल्ली

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