जाँबाज़ सैनिक

नमन मंच 
दिनांक- 17/06/ 2020
 विधा  -कविता   

जाँबाज़ सैनिक

बर्फ सा तुम गले , यज्ञ होम सा जले ।
सूर्य की भाँति प्रखर चमकते रहे ।
शत्रु दलने को सागर सा  उमड़ते रहे।
ओ देश के जवान तुम्हें देश का नमन ।
शौर्य के प्रमाण तुम्हें हमारा नमन।।

तुम अडिग बढ़े , जिधर न था कही डगर,
विशाल शत्रु की सेना थी, ना तुम डरे मगर।
धवस्त किया हर बार उनका गुरुर और गुमान,
झुक सका ना ,भारत माँ का, कभी उच्च स्वाभिमान।
उच्च स्वाभिमान तुम्हें हमारा नमन।।

मृत्यु खड़ी समक्ष थी ,परिस्थिति प्रतिकूल थी ।
टूट पड़े किंतु तुम साहसी जाँबाज़ जवान।
फर्ज का हर पल तुम्हें सतत रहा ध्यान।
तुम बने अदम्य शौर्य ,शक्ति अनुपम महान।
अनुपम महान तुम्हें हमारा नमन।।

गोलियों की बौछार, घाव सीने पर  आघात था ।
भारत माता की जय घोष से,  फिजाओं में स्पंदन था।
अड़ा रहा वो, डटा रहा वो,  विश्वास अदम्य से भरा रहा वो।
कोई द्वंद नहीं, कोई शोक नहीं ,वीरगति वह पाया वो।
हे मातृभूमि के वीर सपूत तुम्हें हमारा नमन।।

ध्यान में प्रिय मिलन न थी, ना पुत्र लाल था।
सिर्फ अंतर्मन में राष्ट्र प्रेम का अहम सवाल था।
आहुति देने युद्ध यज्ञ में तुम चले, ओ प्राणवान।
ओ प्राणवान, तुम्हें हमारा नमन।
युगो युगो तक देश याद रखेगा तुम्हारा बलिदान।।

जीवन अपना बलिदान किया शहीद कहलाया वो,
माँ की गोदी में बिन , चादर के सो जाता है ।
अवशेष उसका माँ के चरणों में विलीन हो जाता है।
पंच तत्वों से बना शरीर कोई  तलाश ना पाता है।
हे मातृभूमि के सच्चे उपासक तुम्हें हमारा नमन।

भारत माँ का बेटा वह लक्ष्य भेद जाता है,
शिखर पर  स्वदेश का निशान  फहर जाता है।
हो गया अमर तुम्हारा दिव्य प्राणदान।
देश के निशान तुम्हें देश का नमन ।
शौर्य के प्रमाण तुम्हें हमारा नमन।।

स्वरचित 
अंशु प्रिया अग्रवाल 
सर्व मौलिक अधिकार सुरक्षित

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