खनकती पायल

बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता  
विषय  : काव्य कहानी
विधा  : काव्यात्मक कहानी
दिनांक  :  24/6/ 2020
दिन      :    बुधवार


शीर्षक -खनकती पायल

वह भी सपने देखती थी,
पायल पहनकर रुनझुन करेगी ।
चपला बनकर अधरों में खिलेगी,
किसी की अर्धांगिनी बनेगी।।

पापा की लाडली थी वह,
मैया की दुलारी थी वह ।
पर  कैसी  यह दुर्घटना आई,
माता- पिता दोनों की अर्थी सजाई ।।

अकेली थी वह ,
सहमती थी वह ।
ज़रा ज़रा सी आहट से,
उठती थी वह ।।

अभी कुछ दिन पहले,
अठारवीं सालगिरह मनाई थी ।
ओह काल ने यह कैसी,
कठोर घड़ी दिखाई थी।।

इन रुह तोड़ते शोक के पंद्रह दिनों में,
ममेरे भाई ने बहुत हमदर्दी दिखाई।
उसके घावों में मरहम लगाया,
उसके अश्रु संग आँसुओं को बहाया।।

उसके प्यार ने फिर,
परी की चेतनता लौटाई ।
उसके भावों के मन में,
भातृ प्रेम लहराया।।

लेकिन कुछ दिन बाद,
ज़मीर पीछे छूटा ।
पवित्र नेह का ,
बंधन था टूटा ।।

मर्यादा की शरशय्या पर,
मानवता निष्प्राण हुई ।
कामना की आग में ,
बहन की अस्मिता नीलाम हुई।।

भाई के स्वार्थ के ,
फन  फुफकारने लगे।
जड़ता से कुंठित चिंतन,
जिस्म में जख्म बनाने लगे।।

बनकर धुएँ का बादल,
घोलता रहा वह हलाहल।
एक नया दु:शासन बनकर ,
करता रहा वह चीरहरण !

बहन को लूटा -खसौटा
उसके ख्वाबों ,जज्बातों का गला घोंटा ।
उसके जीवन में नासूर बनकर ,
दिल पर गहरी चोट करकर।।

अव्वल दर्जे का वह धूर्त था,
भोग पिपासा का  पुत्र था।
उसका दर्द अनसुना कर गया ,
उसका अस्तित्व ही विलीन कर गया।।

क्या नजारा पेश कर रहा ,
उसका कलेजा चीर कर ?
वह कैसे ऐश कर रहा ,
उसको भट्टी में झोंक कर?

इतने पर भी उसकी ,
संगदिली ठंडी ना हो पाई ।
बहन की संपत्ति पर थी ,
गिद्ध नजरे बैठाई ।।

अति दोहन ,अतिशोषण,
का भी चीरहरण हो गया।
उस दुर्योधन ने उसको ,
कोठे में बेच दिया।।

लोलुपता के सुरसा ने ,
मुँह करके विशाल ।
भस्मासुर कामी  ने 
लिए करतल पसार।।

विपदा बन आया ,
एक भयंकर ज्वार ।
कर देने उसके ,
सपनों का संघार ।।

आज वह बदनाम,
गलियों की कहानी गढ़ती ।
लाली लिपस्टिक से ,
दर्द को ढ़कती ।।

दुर्भाग्य को,
मिटाने के लिए ,
हर रोज सौभाग्य का,
कुमकुम लगाती।।

बिल्कुल खनकती,
पायल की तरह थी वो।
आज कोने में बिल्कुल ,
बिखर कर पड़ी रहती थी वो।।

स्वरचित 
अंशु प्रिया अग्रवाल 
मस्कट ओमान
सर्व मौलिक अधिकार सुरक्षित


 मेल आईडी-anshupriya1@yahoo.co.in

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