बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता
विषय : सावन में आग लगी
विधा : गद्य
दिनांक : 16.06.2020
दिन : मंगलवार
शीर्षक: "मखमली ख्वाब"
आज तो वेद के पैर जमीं पर ही नही टिक रहे थे । इतने लंबे इंतजार के बाद वो घड़ी आने वाली थी, जिसका उसे बरसों से इंतजार था ।
बाहर पड़ती सावन की फुहारों से मिट्टी की भींनी सी खुशबू ने तो जैसे मौसम को रुमानियत से भर दिया था ।
उसने चॉकलेट कलर की शर्ट और क्रीम पेंट पहना और न्यू इन रेस्टोरेंट में कोने वाले टू-सीटर रिजर्व्ड टेबल के पास पहुंचकर कुर्सी पर बैठा ।
जिस टेबल पर कस्टमर थे, उस टेबल पर मोमबत्तियां झिलमिला रहीं थीं । न्यू इन रेस्टोरेंट में कस्टमर अपने हिसाब से टेबल पर कैंडल्स लगाते थे ।
वो बैचेनी से गेट की ओर ताक रहा था कि तभी उसे भींगी लटों को सॅवारती कशिश अंदर आती दिखती है । सुर्ख लाल रंग के ईवनिंग गाउन में को कितनी दिलकश लग रही थी, उसे देख वेद के दिल की धड़कनें बढ़ सी गयी थी ।
बड़े जतन से खुद को संभालते उसने हाथ हिलाकर कशिश को इशारा किया । हल्की हल्की रोशनी में धीमें धीमें आगे जाती, दोनों हाथों से गाउन संभालती वो वेद के पास पहुँचकर सामने वाली कुर्सी पर बैठ गयी ।
आंखों ही आंखों में एक-दूजे को पढ़ते 5-7 मिनिट हो गए तभी वेटर आया और बोला -सर ,क्या लीजियेगा?? क्या केंडल लगा दूँ?? कहते हुए उसने टेबल पर रखा लाइटर उठा लिया ।
नहीं,, तुमसे किसने कहा केंडल लगाने को?? जाओ, जाकर बिसलरी बॉटल और एक टॉमेटो और एक कॉर्न सूप ले आओ - कहते हुए वेद ने उसके हाथ से लाइटर ले लिया ।
यहाँ-वहां की बात होती रही, वेटर सूप लेकर आ गया । दोनों एक एक सिप एक-दूसरे को पिला रहे थे, मौका पाकर वेद ने कशिश का हाथ हौले से अपने हाँथों में थाम लिया ।
तभी वेटर फिर आ गया, बोला- "सर, कुछ और ऑर्डर??
झिझकते हुए कशिश ने अपना हाथ वेद के हाथ से छुड़ा लिया ।
वेद ने गुस्से भरी निगाहों से वेटर को यूं देखा जैसे आंखों से बरसते आग के गोले उस पर ताबड़तोड़ बरसा दे ।
पर तभी कशिश ने अपने मखमली हाथ उसके हाथों पर रख उसे शांत रहने को कहा ।
वेज मंचूरियन और स्प्रिंग रोल एक-एक प्लेट - आर्डर देकर कशिश ने वेटर को रवाना किया ।
अब तो केंडल जला लो वेद- कहकर कशिश ने लाइटर वेद की ओर बढ़ाया ।
लाइटर के बहाने वेद ने फिर अपने दोनों हाथों में कशिश का हाथ थाम लिया । न जाने कितना समय यूँ ही गुजर गया, वेटर ऑर्डर लेकर टेबल पर हाजिर था, साहब ????
कशिश ने हड़बड़ा कर फिर अपना हाथ छुड़ाया । वेटर ने प्लेट्स लगाकर सर्व किया । वेद ने लाइटर से कैंडल्स जलाई ।
कशिश,,,मैं आज तुमसे कुछ कहना चाहता हूं,,,,- कहते हुए वेद टिक-टिक लाइटर ऑन-ऑफ करने लगा ।
,,,,,,अरे रे मेरे चॉकलेटी रोमांटिक हीरो ,,,,, न जाने नींद में किससे रोमांस फरमा रहा है?? उठ जा, ये लाइटर से हाथ मे रहे नोट्स जल रहे है ,,, वेद के हाथ मे लाइटर से भभकते कागज को बुझाते हुए उसका दोस्त बोला ।
क्या यार,,, कितना सुंदर मखमली ख्वाब देख रहा था,, बस सीन क्लाइमेक्स पर पहुँचा ही था,, थोड़ी और देर से आते तो क्या बिगड़ जाता???
ओ हीरो,, थोड़ी देर और बाद आता तो बाहर सावन की झड़ी और कमरे में आग की लपटे होती
( गद्य/पद्य भाग)
नाम और पता
अंजली खेर 9425810540
C-206, जीवन विहार
अन्नपूर्णा बिल्डिंग के पास
P&t चौराहा, कोटरा रोड़
भोपाल
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