हाथी का मिलन

बदलाव मंच- सप्ताहिक प्रतियोगिता
 विषय -सावन में लग गई आग 
विद्या- हास्य कविता 
दिनांक -16/06/2020 
दिन- मंगलवार 
शीर्षक -हाथी का मिलन
 सावन का जो मौसम आया 
विरह की आग को उसने सुलगाया
 सावन में लग गई आग 
सब हो गए मिलन को बेताब 
पेड़ों पर है पक्षी गुंजित
 हरी धरा है बड़ी प्रफुल्लित
 फूल सुशोभित वन उपवन में
 प्रेम के रस में डूबे हैं भवरे
 बादल गरजे धरती से मिलन को
 छम छम बरसे उमड़ उमड़ कर
 इंद्रधनुष के रंगों में से मिलकर
 दिखता आकाश बड़ा मनभावन 
कोयल कूके करती है कलरव
 पपीहा टेरे बड़ा ही सुंदर
 मोर नाचे पंख पसारे
 मोरनी को पास बुलाए
 हाथी ने भी पैर उठाए 
हथनी को मुस्का के दिखाएं
 जो ही उसने पैर उठाए
 हाथी जी गिर गए धड़ाम
 चोट को खा कर अब वह करते, हाय राम हाय राम हाय राम।।।
                                                  रचियता गुलनाजआरिफ
                                                पद सहायक अध्यापिका
                       पूर्व माध्यमिक विद्यालय हाफिजपुर उबारपुर
                                                 जनपद हापुड़ उत्तर प्रदेश

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