विषय -सावन में लग गई आग
विधा--सवैया
दिनांक -18/06/2020
दिन -गुरूवार
शीर्षक - सावन में आग लगी (सवैया)
====================
भोर भयो जब आँख खुली तब,
काग फिरे चंहु व्याकुल बोला |
सावन में अब आग लगी जब,
सांझ सकार सबै पट खोला ||
खेत किसान खिझाय रहे सब,
दूभर होगय भातन रोटी |
नागर पाथर दूर भयो अब,
जेखर भैसन तेखर लाठी ||
सावन में जब आग लगी तब,
मीन जरै सब राख लगायो |
वारि तरुवर खूब हँसै सब,
जीव धरा पर टेर लगायो ||
सोंच विचार करो पढ़ने सब,
भूख पियास सबै मिट जायो |
कौन गरीब अमीर भयो अब,
डीएप्रकाश सबै सुधि लायो ||
सोवत जागत बात करें सब,
पावन सावन है अकुलानी |
कानन से खग भाग गयेअब,
रोवत हैं सब बादर पानी ||
दादुर मोर कपोत सबै मिलि,
जीव चराचर लाज बचावें |
सावन मे दुख भोग रहें सब,
प्रकाश विलोकि आग बुझावे ||
मैं डी.ए.प्रकाश खाण्डे घोषणा करता हूँ की उक्त रचना मेरी मौलिक है | मोबाइल न .9111819182
ईमेल -d.a.prakashkhande@gmail.com
0 टिप्पणियाँ