आओ एक हो जाओ



चित्र क्रमांक:-2
शीर्षक:- आओ एक हो जाओ।

नाम:-प्रकाश कुमार
(मधुबनी )बिहार
विषय:- चित्र आधारित कविता
साप्ताहिक प्रतियोगिता।
दिनाक 30/6/2020

कहता अम्बर आओ मिलकर 
एक स्वर आवाज लगाओ।
मन्दिर मस्जिद से ऊपर उठकर 
आओ एक साथ हो जाओ।

अपनत्व ही अपना स्वाभाव हो।
वतन के कोने कोने में समभाव हो।
नई दिशाओं से होकर नए आगाज़ जगाओ।

नए देश में नए वेश में आओ 
अपना एकता का परिवेश बनाये।
विकाश के पथ पे साथ मिल कर
 विस्व में इस देश को सजाये। 
 ना कही हो अब अंधियारा 
आशा की दिप जलाओ।

झुककर हिमालय कहता हमे
 सिखाता की बन्द करो ना रक्त रंजिश।
समुद्र भी सांत रहने का मूलमंत्र
 सिखा कहता इससे मिलेंगे ईश 
सीखकर इस धरा में अब तो 
नही खून के छीटे उड़ाओ।

कबतक आपस मे लड़कर अपनी 
शक्ति को धूल में मिलाओगे।
जन्म लिया इस पावन भूमिपर 
फिर क्या ऐसे कर्ज चुकाओगे।
प्रकाश "मधुबनी"की बात मानो
गले मिल एकजुटता दिखाओ।
 
राम गोविंद अल्हा मसीहा
ये हमे तो सिखाया है।
बन जाओ अच्छा इंसान पहले
यही वेद धर्म ने हमे पढ़ाया है।
सात रंग हम इंद्रधनुष के 
साथ मिल उजियारा फैलाओ।

इतना जो कर लिया तो समझो।
कुपोषण ना होगा फिर नर नारी में।
रामराज्य आ जायेगा फिरसे।
खिल जाएंगे फूल हर तरफ फुलवारी में।
द्वेष ईर्ष्या व अभिमान त्यागो।
आओ मिल जुल प्रेम सरिता बहाओ।

(स्वरचित कविता )
प्रकाश कुमार
मधुबनी बिहार
छायाप्रति साभार:-इंटरनेट

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