जंगल में मंगल,भूपसिंह 'भारती

बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगित
तिथि : 26/06/2020
विषय : कोई भी
विधा : कविता
शीर्षक : "जंगल में मंगल"

शेरखान जंगल का राजा, 
रहता था सुंदरवन में।

एक दिन वह सो रहा था, 
आराम से निज उपवन में।

चुन्नू चूहा बिल से निकला, 
लगा कूदने नाहर तन पर।

नींद भंग हुई शेर खान की, 
खड़ा हुआ एकदम तन कर।

सम्मुख पाकर चुन्नू चूहे को, 
काल पंज में लिया जकड़।

डर से पीला पड़ गया चुन्नू, 
काल के जैसी देख पकड़।

हाथ जोड़कर चुन्नू बोला, 
तुम राजा बड़े दयालु हो।

कर दो गलती माफ स्वामी, 
तुम तो बड़े कृपालु हो।

संकट में दूंगा साथ तुम्हारा, 
चुन्नू चूहे ने साफ कहा।

विनती सुन कर चुन्नू की, 
शेरू ने हंसकर माफ किया।

एक दिन एक शिकारी ने, 
जंगल में जाल बिछाया था। 

वन में घूमते हुए शेरखान, 
जाल में ही घुस आया था।

तोड़ने के लिए जाल को, 
लगा शेरू जोर लगाने।

जब जाल नहीं टूटा तो, 
फिर जोर से लगा गुर्राने।

सुनकर शेरू की आवाज, 
चुन्नू चूहा बिल से भागा।

अपने पैने नुकीले दांतों से, 
दिया काट जाल का धागा।

चुन्नू को बिठा पीठ पर, 
शेर खान खुशी से रोने लगा।

दोनों में फिर हुई दोस्ती, 
जंगल में मंगल होने लगा।

- भूपसिंह 'भारती',
आदर्श नगर नारनौल, हरियाणा।

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