बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता
विषय : मुक्त
विधा : काव्य प्रश्नोतरी
दिनांक : 26/06/2020
दिन : शुक्रवार
शीर्षक: प्रश्नोत्तर नारी का
क्यों बढ़ना है क्यों पढ़ना है
तुम्हें बेटी होकर अब क्या गढ़ना है
गढ़ गढ़ कर जग में क्या करना है
चूल्हे चौके में ही खपना है
क्यों बढ़ना है क्यों पढ़ना है
घर गृहस्थी को ही गुनना है
क्यों सपने नित नए बुनना है
क्यूं राह नई तुझे चुनना है
क्यों बढ़ना है क्यों पढ़ना है
जब बच्चे ही पैदा करना है
वंश वेल को सींचना है
पाल पोस कर बड़ा करना है
सुनकर सबकी आंखें मींचना है
क्या तुझे कलेक्टर बनना है
क्यों बढ़ना है क्यों पढ़ना है
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मुझे नजरिए को बदलना है
मैं बेटी हूं इसलिए पढ़ना है
समाज का हूं मैं मुख्य आधार
सो बढ़ना है मुझे पढ़ना है
हूं घर कि मैं एक नींव सबल
और सबल इसे मुझे करना है
सो पढ़ना है मुझे बढ़ना है
नित नित मुझे आगे बढ़ना है
सो पढ़ना है मुझे बढ़ना है
संस्कार की चूनर को संभाले
समाज की सड़ी गली रितियों
मुझेको ही बढ़ कर बदलना है
पितृ सत्ता में आए कुरीतियों को
दूर कर अब सबको संभलना है
कुंठित नजरिए बदलने के लिए
मुझे पढ़ना है मुझे बढ़ना है
नैनों में नित नए स्वपन लिए
मंगल चांद छूने को मचलना है
छूकर नए कृतिमानों को मुझे
अगली पीढ़ी नई तैयार करना है
सो मुझे पढ़ना है मुझे बढ़ना है
ना दोगे अवसर तो अब मैं छीनूंगी
ना अब मैं जुबा अपनी सी लूंगी
केवल वंशवेल ही नहीं सींचूंंगी
समाज की गलती पे ना आंखें मिचूंगी
सत्ता में आकर देश चला सकती हूं
खेती हो या आफिस दुकान कोई
मैं हर क्षेत्र में पांव जमा सकती हूं
ना कहना तुम की कोमल हो तुम
मैं वतन की रक्षा के लिए कोमल
हाथों में हथियार भी उठा सकती हूं
तुम तो बस एक पीढ़ी के पालक हो
मुझे तीन पीढ़ियों में ओज भरना है
सो पढ़ना है मुझे बढ़ना है
रजनी शर्मा चंदा
बिहार,झारखंड
8340794930
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