अजीब दुनिया,डॉ सत्यम भास्कर भ्रमरपुरिया

बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता
विषय.. मुक्त
विधा.. काव्यात्मक कथा
दिनांक.. २६/०६/२०२०
दिन..  शुक्रवार

शीर्षक.. अजीब दुनिया 

कितनी अजीब है ये दुनिया, 
अलग अलग वेश, अलग है हुलिया.

राज की बात बताता हूँ, 
आपबीती ही आज सुनाता हूँ, 
 भावविभोर हो जाता हूँ, 
आओ कालेज लेकर जाता हूँ, 

अजब जुनून, गज़ब था जलवा, 
हर चीज़ बस लग रही थी हलवा, 
नियत समय पर कालेज जाना, 
तल्लीनता से अध्ययन में रमना, 
दिन नवाबी का सा गुजरना, 
भरी सभा में अचानक निगाहों का टिक जाना, 
भोली सूरत, पवित्र सीरत, अप्रत्याशित खुशी मिलना, 
आते-जाते उसको तकना, 
संयोग से उसका सीढ़ियों पर मिलना, 

था बेसब्री से इंतजार जिस पल का, 
बस पलक झपकते पल को लपका, 
आव देखा न ताव, बेधड़क उसको टोका,
क्या बनोगी तुम मेरी प्रिय, 
आधे-अधूरे पर उसका हंसकर गले लगना, 
मैं तो कबसे थी ताक में, 
इजहार करने में देर लगाना, 
कैसे लड़के हो तुम, जरा देख लो जमाना, 
करते नहीं देर इजहारे इश्क में, 
इतना कह कर हंसते हुए गले लगना,
कुछ अलग ही थी उसकी भावना, 
सब खामोश देख रहे थे, 
बहुत ही अजीब थी ये घटना, 
हिम्मत जुटाकर कह दिया मैंने, जरा सुनना, 
मुझे गलत न समझना, 
क्या बनोगी तुम मेरी प्यारी बहना, 
यही मेरी है दिली तमन्ना, 
किस दौर में जीते हो तुम, 
मेडिकल कॉलेज में पढ़ते हो तुम, 
गर्लफ्रेंड नहीं बहन ढूंढते हो तुम, 
किस मिट्टी के बने हो तुम, 
आइन्दा नजर न आना, 
नहीं मिलेगी कोई भी बहना, 
आखिर मैं कहाँ था गलत ओ जमाना, 
मेरे भी जज्बात थे, मेरा था अपना तराना, 
आप मुझे जरूर बताना, 
क्या गलत है किसी को बहन बनाना??

डॉ सत्यम भास्कर भ्रमरपुरिया✍
 डायरेक्टर आयुस्पाईन हास्पिटल दिल्ली.
9312474686

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