जोगी रा सरररर

बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता
विषय :-  सावन में लग गई आग
विधा :-   काव्य
दिनांक :- 17/06/2020
दिन :-     बुधवार
शीर्षक : - जोगी रा सरररर

धरती सूखी, पौधे जलते, तपने लगा संसार, 
बूंद एक भी बरस रही ना, सावन में लग गई आग।
जोगी रा सरररर...  जोगी रा सरररर...

बरस जाए गर एक बार तो मिल जाए कुछ चैन,
बिन बरसे इसे गुजर गई हैं ना जाने बहु रैन।
जोगी रा सरररर...  जोगी रा सरररर...

बादल आए काले काले कर दी सबकी मौज,
मद में महकता सावन आया लेकर अपनी फ़ौज।
जोगी रा सरररर... जोगी रा सरररर...

मस्ती में इतराते बादल बरस रहे घनघोर,
मोर, पपीहा, मेढ़क बोलें लगा लगाकर जोर।
जोगी रा सरररर... जोगी रा सररर...

मेघा बरसे खुश होकर के चढ़ गई जोश जवानी,
बिना रुके वो इतने बरसे कर दिया पानी पानी।
जोगी रा सरररर... जोगी रा सरररर...

दिन भर बरसे, बरस बरसकर कर दिया सत्यनाश,
घर में दुबके चार दिनों से जा सावन में लग जाए आग।
जोगी रा सरररर...  जोगी रा सरररर...

पहले तरसे बिन बरसे फिर बरस बरस तरसाए,
अब जगह जगह पर पानी ठहरा कैसे घर को जाएं।
जोगी रा सरररर...  जोगी रा सरररर...

आगे से अब सोच समझकर देंगे न्यौता इन को,
पता नहीं कब छुपना पड़ जाए यह सीख मिल गई हम को।
जोगी रा सरररर...  जोगी रा सरररर...

विष्णु चारग , अलीगढ़ , उत्तर प्रदेश
7895733950  ,  08/05/2000

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