बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता
विषय : मुक्त
विधा : काव्य (कथात्मक)
दिनांक : 24-06-2020
दिन : मंगलवार
शीर्षक: माँ की मार
बात बताऊँ तुम्हें पुरानी
मैं खुद अपनी ही जुबानी।
कक्षा चौथी में पढ़ता था
उम्र नहीं थी वह सयानी।
धूम्रपान का शौक चढ़ा
चोरी छिपे ही पीता था।
लंबे-लंबे कश भरता
धुएँ की दुनिया में जीता था।
इक दिन माँ ने देख लिया
कान पकड़ कर घर लाई।
नंगे बदन पर डंडे बरसाए
मुझको नानी याद आई।
उस दिन मैंने कसम उठाई
धूम्रपान फिर नहीं करूँगा।
ऐसी शौकिनी लोगों से भी
मैं सौ गज की दूरी रखूँगा।
माँ की मार नहीं पड़ती तो
कुसंगति में मैं पड़ जाता।
खाँसी, दमा मुझे जकड़ते
कैसे तब उनसे लड़ पाता।
विनोद वर्मा 'दुर्गेश'
तोशाम, जिला भिवानी,
हरियाणा
मेल आईडी : vinoddurgesh78@gmail.com
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