बुढापा, नीतू राठौर

बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता

विषय- काव्यात्मक कथा
विधा--स्वतन्त्र
दिनांक--23/6/2020
दिन--मंगलवार

शीर्षक--****बुढापा****
नाम--नीतू राठौर
पता-- 133 भारत नगर
        भोपाल 


बुढ़ापा

अस्पताल के वी आई पी कक्ष में
70 वर्ष का अमीर बूढ़ा,
गिन रहा था अंतिम साँसे
मौत के इन्तजार में।

डॉक्टर हिम्मत हार चुके थे 
जबाब दे चुके थे परिजनों को,
जब तक ममता ,मोह मन में
तब तक ही है दुनिया में।

दिन पर दिन बीत रहे थे
मरने का पर नाम नहीं था,
जाने क्यों अटकी हुई थी
जान उसके सीने में।

बुढ़िया उसकी बिलख रही थी
पहले क्यों ना उठाया मुझे,
हर सुख-दुख में साथ निभाया
बिछड़ रहे हो क्यों अब अंत में।

छुट्टी मेरी और नहीं है
घर का भी सब काम पड़ा है,
कितना खर्च और कराओगे बापू
देर क्यों लगा रहे हो मरने में।

बुड्ढे की सब सम्पत्ति जोड़ी
चार हिस्से नहीं हो रहे थे,
चारों भाई में हो रहा झगड़ा
बगल वाले कमरे में।

पहला नकद ,दूसरा ज़मीन
तीसरा रहा व्यापार में राजी,
चौथे को चाहिए आधा-आधा
ज़मीन, व्यापार और नकद में।

बनावटी आँसू बहुओं के चेहरे
बिगाड़ रहे थे उनके मेकअप
जल्दी मर जाए पैसा संभालू
कोस रही थी सब मन में।

तन-मन से सेवा- सुश्रा की
बड़े अच्छे बिटियाँ-दामाद जी,
हमें भी कुछ मिल जायेगा
इक्छा दबी हुई मन में।

पूरा परिवार आँखों के सामने
फिर भी है इंतजार बुढ़ऊ को,
प्यारा कुत्ता सामने आया
आते ही उसे गले लगाया,
देख नजारा हतप्रद थे सब "नीतू"
बुड्ढा चला अपनी दुनिया में।

नीतू राठौर भोपाल से

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