*बल्ब और लालटेन*

चित्र नं. 04
*बल्ब और लालटेन*

थॉमस एडीसन ने बल्ब बनाया,
तो हुआ उजाला रोशनी का!
तब अंधकार पर मनुष्य का, 
विजय उद्धघोष प्रारंभ हुआ!!
सूर्य को दी तब चुनौती, 
कि हम शाम तेरे डूबने के बाद!
फिर होगा उजाला रोशनी का, 
कितनी अंधेरी रही होगी रात!!
जब बिजली नहीं थी इस संसार में,
आज जिंदगी ठाट से जी रहे हैं लोग!
रात-दिन कल कारखानों में,
काम कर रहे हैं लोग!!
कल तक थे जो गर्मी में,
बरगद,नीम पेड़ की छांव में!
आज वो बैठे हैं ए.सी., कूलर की पनाह में,
बिजली के प्लांटों में!!
लाखों यूनिट बिजली रोज है बनती 
तब हजारों मील दूर-दराज में!
घर,बाजार में बिजली जगमग करती 
किसको क्या पता कि!!
इस दूधिया रोशनी के पीछे
कितने श्रमिक रात दिन!
श्रम करते हैं इन प्लांटों में
हमें इन जलते हुए बल्बो को!!
इस हिसाब से है जलाना
व्यर्थ ना जाए बिजली इसको है बचाना!
फिर वो लालटेन वाला, 
वक्त नहीं आए दुबारा!!
अगर लालटेन वाला वक्त,
है दुबारा आया सूर्य तब हंसेगा!
और थॉमस एडीसन का,
चैलेंज होगा निरर्थक!!

शिवशंकर लोध राजपूत 
व्हाट्सप्प no. 7217618716
ईमेल :shivs6203@gmail.com

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