आने दो


चित्र आधारित प्रतियोगिता हेतु रचना प्रेषित
बदलाव मंच के समस्त पदाधिकारियों सदस्यों को यथोचित नमन

भास्कर सिंह माणिक ( कवि एवं समीक्षक)
कोंच,जनप-द जालौन ,उत्तर- प्रदेश-285205
रचना का शीर्षक-
               आने दो
मां हमें भी जग में आने दो
तुम यूं ही मत मर जाने दो

आभार तुम्हारा मानूंगी
अधिकार तुम्हारा जानूंगी
मत भूलो तुम भी नारी हो
मैं वचन तुम्हारा पालूंगी

मां मैं तुमसे प्यार करूंगी
मां हमें भी जग में आने दो

तुम पापा को समझा लेना
तुम अपना दर्द बता देना
फिर भी अगर न माने वो
बिगड़ा अनुपात बता देना

रोऊंगी मनुहार करूंगी
मां हमें भी जग में आने दो

मैं पदमा दुर्गा सारन्ध्रा बन
सीता सावित्री अनुसूइया बन
मैं शक्ति का आह्वान करूंगी
लक्ष्मीबाई मदर टेरेसा बन

मैं ममता का गीत लिखूंगी
मां हमें भी जग में आने दो

मैं लड़ जाऊंगी हर मौसम से
इतिहास रचूंगी अंतरिक्ष से
अपनी माटी की रक्षा के हित
मैं नहीं करूंगी दुश्मन से

मैं तेरे आंसू पौछूंगी
मां हमें भी जग में आने दो

मैं सपन करूंगी पूरा तेरा
न भैया से झगड़ा है मेरा
पढ़ लिख कर मैं नाम करूंगी
मान करेगी दुनिया तेरा

न यहां वहां की बात करूंगी
मां हमें भी जग में आने दो
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक (कवि एवं समीक्षक)
कोंच,जनपद- जालौन,उत्तर- प्रदेश-285205

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