बदलते रिश्ते

  बदलते रिश्ते 

जब प्यार न मिला, तो विटामिन की गोली किस काम की, 
अपनों का सहारा न मिला, तो वेन्टीलेटर किस काम की, 
नज़र फेर कर जुड़े रहे, तो सुईयां किस काम की, 
कोई तो अपना होता, जो हाथों में हाथ धर ढाढस देता, 
ये सब बस एक धोखा है, तो जिंदगानी किस काम की, 
उलटी गिनती शुरू हुई, डाक्टर ने कहा कुछ नहीं हो सकता, 
कुछ पल के मेहमान है, एक आवाज़ आई डाक्टर साहब आपकी दवाई किस काम की, 
मैं सब महसूस कर रहा था, प्यार को मैं तरस रहा था, 
फफक फफक कर, सिसक रहा था, 
आंसू भी नहीं आए आंखों में, वहाँ जमा भीड़ किस काम की, 
बस अब चलने को था, दुनिया छोड़ने को था, 
जिसके लिए भूखा रहा, वो पूछ रहा था, 
डाक्टर साहब अब और कितना समय है, 
सांस निकली, प्राण पखेरू, उड़ गए, 
ताक रहे थे सारे वहाँ, 
अब पोस्टमार्टम की बारी थी, 
बोटी बोटी काट डाले, मैं सब देख रहा था, 
रिपोर्ट में लिखा, भावनाओं की हत्या हुई, 
प्यार की कमी से इनकी मृत्यु हुई..


रचनाकार का नाम . डॉ सत्यम भास्कर "भ्रमरपुरिया"
शहर     दिल्ली
राज्य     दिल्ली
सम्पर्क   ९३१२४७५६८६

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