गाथा वीर सावरकर की

बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता

विषय: काव्यात्मक

विधा: कविता

दिनांक: 26/06/2020

दिन: शुक्रवार

शीर्षक: गाथा वीर सावरकर की

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भारतीय स्वतन्त्रता की आन-बान का प्रतीक सेनानी जन्मा

नासिक भगूर गांव में अट्ठाइस मई अठारह सौ तिरासी को।

हर्षोल्लास हुआ पिता दामोदर पंत व माता राधाबाई के घर

बचपन में ही स्वर्गवास हुआ पिता-माता का असाध्य रोग से।

बड़े भाई गणेश ने लिया परिवार के पालन-पोषण का भार

बचपन में राष्ट्र क्रान्ति की गुप्त सोसायटी मित्र मेला बनायीं।

गौरव हिन्दू कुल के प्रेम का सदा तल्लीन सुरक्षित रखने में

नवयुवकों में फूंका बिगुल राष्ट्रीयता की क्रान्ति ज्वाला का।

उन्नीस सौ एक में विवाह हुआ रामचन्द्र पुत्री यमुनाबाई से

उन्नीस सौ चार में किया स्थापना अभिनव भारत दल की।

थे स्वातंत्र्यवीर और विकास किया विचारधारा हिन्दुत्व का

थे अग्रणी सेनानी साथ महान क्रान्तिकारी, प्रखर चिन्तक।

और लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता तथा दूरदर्शी राजनेता

इतिहासकार रूप में लिपिबद्ध हिन्दू विजय का इतिहास।

थी डरी ब्रिटिश शासन उनके अठारह सौ सत्तावन के प्रथम

स्वातंत्र्य समर पर सनसनीखेज व खोजपूर्ण इतिहास लेख से।

क्रांतिकारियों ने किया उन्नीस सौ ग्यारह में ब्रिटिश अधिकारी

की हत्या से अंग्रेजी सरकार थी भयभीत सावरकर वीर से।

चालबाज़ी से अंग्रेजी सरकार ने फंसा दिया सावरकर को

भेज दिया काला पानी की सजा के लिए अंडमान जेल में।

सज़ा दिया अंग्रेजी सरकार ने दो जन्म के कारावास का

तीन वर्षो के पश्चात दुखदायी यातना रूपी जेल से किया रिहा।

थे एक वकील, राजनीतिज्ञ, कवि, लेखक और नाटककार भी

छब्बीस फरवरी उन्नीस सौ छियासठ को बंबई से हुई।

 इस प्रखर कवि लेखक राष्ट्रवादी की परमधाम यात्रा

करता हूं नमन मैं हिन्दुत्व के इस गौरवसाली सूर्य को।।

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डा0 उमेश सिंह

बैंगलोर, कर्नाटक

umeshsinghkavi@gmail.com

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