बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता
विषय - काव्यात्मक शैली
दिनांक - 26/06/2020
दिन - शुक्रवार
कविता
शीर्षक - *वीर शहीद*
उमड़ पड़ा है आज पूरा गांव, मोहल्ला, शहर, जब माटी में मिलने आया था,
मोटर कार में नहीं, अपने देश के तिरंगे में लिपटा आया था।
लद्दाख के गलवान घाटी में 15जून 20 को शहीदों का वो सैनिक संघर्ष,
निहत्थे सैनिकों पर दुगुनी संख्या में हमले का सामना किया सहर्ष।
चीन के सैनिकों ने बर्बरता पूर्वक, धारदार हथियारों से वार किया,
छत्तीसगढ़ माटी पुत्र सहित 20 जवानों ने शक्ति पूर्वक शत्रुओं मुकाबला किया।
जिसमें छत्तीसगढ़ का यह वीर पुत्र कुर्बान हो गया,
आज गांव ,शहर, देश की जान हो गया।
बच्चे,बूढ़े, जवान सबकी जुबा पर नाम, शहीद गणेश कुंजाम,
एक मां के लाल ने आज, एक मां के लिए किया विश्राम।
दूर-दूर तक गांव में लोगों का हुजूम, समाते नहीं थे छाव में,
मां बहन पिता कलपते थे थमते नहीं थे पाव जमी में।
आंखो ने बुने थे ख्वाब,शहनाई गूंजेगी दुल्हन आएगी आंगन में,
थमते नहीं अब आंसू, तोपो की आवाज गूंज रही थी आंगन में।
मां का दुलारा, परिवार का प्यारा लहू से जिसने लिखी कहानी,
गर्व से दोराएगा भारत शहादत की उसकी यह निशानी।
मां का रो- रो बुरा हाल हुआ,
उसके आंगन का था बूटा,
पत्नी का श्रृंगार चूड़ी,बिंदी, काजल,कंगना छुटा।
थी सैनिको की पूरी फौज, इक्कीस तोपों की सलामी देते,
सीना गर्व से फूला पिता का,वीर पुत्र को सलामी देते।
चली साजो सज्जा से उसकी अंतिम यात्रा जब,
स्वयं मुख्यमंत्री कांधा देकर,रो दिए अंतिम विदा देते वक्त।
गौरवान्वित देश,गांव,समाज, छोटे से गांव का सिपाही देश के आया काम,
पहले *देश की शान,बाद में अपनी जान,अमर रहे शहीद गणेश कुंजाम*
स्वयं मुख्यमंत्री कंधा देकर रो दिए, अंतिम विदा देते वक्त,
छूकर पैर मां के कहा, तेरा लाल अमर हुआ,
छ. गढ़ सरकार गांव के प्राथमिक शाला का नाम उसके नाम किया, ताकि गांव का बच्चा - बच्चा इस वीर पुरुष की कुर्बानी सदियों याद करे।
धन्य हो गई मां जिसने जन्म दिया ऐसे लाल को,जिसने दी कुर्बानी,
व्यर्थ नहीं जाएगी वीर, तुम्हारी देश के लिए कुर्बानी।
सब तरफ भारत मां के वीर का परचम लहरा रहा था आज,
हर शीश झुके थे सजदे मे, नम आंखों से सोचू,क्या.... याद रहेगा उसका बलिदान आज के बाद।
माधवी गणवीर
राजनादगांव
छत्तीसगढ
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