पृथ्वीराज चौहान शौर्य गाथा

बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता  
विषय : पृथ्वीराज चौहान शौर्य गाथा। 
विधा : कविता 
दिनांक : 25/06/2020 
दिन : बृहस्पतिवार  

शीर्षक: आओ बच्चों आज तुम्हें मैं। 

आओ बच्चों आज तुम्हें मैं, गाथा एक सुनाता हूँ।
भारत जैसे देश का तुमको, मै इतिहास बताता हूँ। 

राजाओं महाराजाओं का, था ये देश हमारा। 
इन्द्र धनुषी सप्त रंग से, सजा था देश हमारा।
बड़े-बड़े ज्ञानी महाज्ञानी, राम की गाथा गाते थे। 
सजा-सजा कर टोली अपनी, गीता ज्ञान सुनाते थे। 
जो कुछ सुना है उनसे मैंने, तुमको आज बताता हूँ। 

आओ बच्चों आज तुम्हें मै, गाथा एक सुनाता हूँ। 
भारत जैसे देश का तुमको, मै इतिहास बताता हूँ। 

खुशहाली थी सबकें मन मे, हरियाली थी देश में।
किन्तु कालिगति चुपके-चुपके, आई गौरी के भेष में।
भारत के सभी धर्मग्रंथ, जब गौरी जलाया करते थे।
लूट-लूट कर देश हमारा, अपने घर को भरते थे।
आया ऐसा एक वीर पुरूष, जिसे पृथ्वीराज सब कहते थे।
बस एक अकेले पृथ्वीराज जी, मक्कारों से लड़ते थे।
सत्रह बार जब ख्वाब गौरी के, पृथ्वीराज ने ध्वस्त किये।
देखों कैसे खेल रचे फिर, कैसे उसने प्रयत्न किये।
सारी घटना एक-एक कर, तुमको आज सुनाता हूँ।

भारत जैसे देश का तुमको, मै इतिहास बताता हूँ। 
आओ बच्चों आज तुम्हें मै, गाथा एक सुनाता हूँ।

हर ओर दिखाई देने वाला, पृथ्वीराज का टोला था।
देख के जिसको गौरी का दिल, डर मारे डोला था।
पृथ्वीराज के सामने आकर, गौरी कांपने लगते थे।
गौरी की सेना को छोड़ो, सेनापति भागने लगते थे।
पृथ्वीराज है लाल देश का, सभी लोग ये कहते थे।
नतमस्तक होकर सभी बस, उनके आगे झुकते थे। 
अठ्ठारवीं बार फिर एक दिन, गौरी ने शीश उठाया था।
भारत के कुछ गद्दारों ने, जब उसका हाथ बंटाया था।
छोड़ा पृथ्वी को मक्कारों ने, गौरी का साथ निभाया है।
भाई की गर्दन काटने को, भाई ने जाल बिछाया है।
भारत के उन गद्दारों से, मैं परिचय आज कराता हूँ।

आओ बच्चों आज तुम्हें मै, गाथा एक सुनाता हूँ।
भारत जैसे देश का तुमको, मै इतिहास बताता हूँ।

जयचंद नाम था उसका, जिस राजा की ये कहानी है।
गौरी का साथ निभाने वाला, यहीं तो अभिमानी है।
एक दिन फिर से बिगुल बजा, और हुई लड़ाई जम के।
आया है अब मोड़ नया, तुम सुनो कहानी थम के।
अबकी गौरी की विजय हुई, और पृथ्वीराज जी बंदी हैं।
गौरी को हम क्या कहते जब, अपनों की नेत ही गंदी हैं।
बांध पृथ्वी को जंजीरों से, दुष्टों ने अत्याचार किया।
लोहे की सलाखें गरमा कर, नेत्रों में उनके डाल दिया।
मोहम्मदगौरी नाम था उसका, जिसनें यह अत्याचार किया।
अपनों को साथ मिला कर उसने, पृथ्वीराज पर वार किया।
अब सुनो ध्यान से तुम्हें पृथ्वी की, अंतिम बात बताता हूँ।

आओ बच्चों आज तुम्हें मै, गाथा एक सुनाता हूँ।
भारत जैसे देश का तुमको, मै इतिहास बताता हूँ।

अन्धा होकर भी पृथ्वी ने, हिम्मत नहीं वहां हारी।
एक-एक को ललकारता वो, वीर पुरूष बारी-बारी।
पृथ्वी की आखिरी ख्वाहिश पूछने की, खता मोहम्मदगौरी कर बैठा।
पृथ्वी की ख्वाहिश पुरी करने की, हामी वो कायर भर बैठा।
कहाँ पृथ्वी ने दे दो तुम, हाथों मे मेरे धनुष-बाण।
कह दो चन्दबरदाई से वह, आखिरी कविता मुझे सुना डालें।
दिया हुक्म उस कायर ने फिर, कविता चन्दबरदाई की शुरू हुई।
कविता के पुरी होते ही, जालिम की गर्दन धड़ से अलग हुई।
इस तरह पृथ्वी उस पापी से, अपना देश बचाता है।
यही है सच्चा लाल देश का, हर कोई ये कहता जाता है।
ऐसे वीर पुरूष के आगे, मैं अपना शीश झुकाता हूँ।

भारत जैसे देश का तुमको, मैं इतिहास बताता हूँ।
आओ बच्चों आज तुम्हें मैं, गाथा एक सुनाता हूँ।
भारत जैसे देश का तुमको, मैं इतिहास बताता हूँ।

नाम - अजय कुमार द्विवेदी ''अजय''
उम्र - 34 वर्ष 10 महिने 
पता - ई-4/347, गली नम्बर - 8, चौथा पुश्ता, सोनिया विहार, दिल्ली - 110094

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