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हे गणनायक होख सहायक रखना हरदम ख्याल
सब देवों में प्रथम पूज्य श्री गउरा जी के लाल।
तुही अगुआन हो देवता मेरे भगवान हो देवता।
सब गुन आगर बुध्दि में नागर,
माई म इल से भ इल।
तीन चकर कई माई -बाप के,
पहिले तुही पूज इल ।
हे प्रभु आजा दरस दिखा जा कर जगत कल्यान।
तुही अगुआन हो देवता मेरे भगवान हो देवता।।
हर अमंगल मंगल कइके ,निमन राह देखाव।
मन में समा के सूरज अइसन सब अंधकार भगाव।
माया मोह हटा मनवा से देइद अभय बरदान।
तुही अगुआन हो देवता मेरे भगवान हो देवता।
भाग्य विधाता पता लगाके अवगुण सगरो हटाव।
दिल दरिया कइ हे देवा आपस में प्रेम बढा़व।
सबके दिल अइसन कइद कि बने सभे गुणवान।
तुही अगुआन हो देवता मेरे भगवान हो देवता
माई -बाप तूही भाई हो जन -जन के रखवारे।
नइया ड़गमग बिच भंवर में कइद आइ किनारे।
"बाबूराम कवि "करे निहोरा भर सभमें मुसकान।
तुही अगुआन हो देवता मेरे भगवान हो देवता।।
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बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ, विजयीपुर, गोपालगंज (बिहार)
मो0नं0--9572105032
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On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾*************************1पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार।परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।।होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण,यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।*************************2गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल।इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।।जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना,निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना।कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा,करती भव से पार, सदा ही सबको गंगा।*************************3जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार।है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।।सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में,वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में।कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग,निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग।*************************बाबूराम सिंह कविग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032*************************मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित।हरि स्मरण।*************************
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