एक रचना आजाद के चरणों में समर्पित

मंच को नमन
एक रचना आजाद के चरणों में समर्पित
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           नमन हमारा
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हे जग रानी के लाल तुम्हें शत शत नमन हमारा
आज तुम्हारी खुशबू से मेहक रहा चमन हमारा

नल क्रांति की ज्योति जला दुनियां को नव राह दिखाएं
अंग्रेजों को जन गण मन की भक्ति की शक्ति बतलाई
सीताराम को शीश झुका अपना कर्तव्य निभाया
मातृभूमि की रक्षाहित आजादी की लड़ी लड़ाई

आज तुम्हारे अडिग निर्णय से हर्षित गगन हमारा
हे जग रानी के लाल तुम्हें शत-शत नमन हमारा

बचपन में ही सीख लिया था धनुष पर बाण चढ़ाना
मध्य आदिवासियों के बीहड़ निर्भय वाहन चलाना
बनाया था झांसी ओरछा को अपने जीवन का गढ़
पावन त्रिवेणी के तट पर रहा सदा आना जाना

आज तुम्हारे कौशल से मुस्काता पवन हमारा
हे जग रानी के लाल तुम्हें शत शत नमन हमारा

भगत सिंह राजगुरु सुखदेव को अपना मित्र बनाया था
उखाड़ा था झंडा फिरंगियों का तिरंगा लहराया था
हिंसा के विरोध में मिलकर काकोरी कांड किया था
आजाद ने आजादी से दुश्मन का दिल दहलाया था

आज तुम्हारे बलिदान से खिलखिला रहा अमन हमारा
हे जग रानी के लाल तुम्हें शत-शत नमन हमारा
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक,  (ओज कवि    एवं समीक्षक )कोंच
जनपद-जालौन,उत्तर-प्रदेश-285205
मोबाइल नंबर-9936505493

Badlavmanch

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