===============
तन आदमी का जग में अनमोल रतन है ।
बन जाये तो अति उत्तम बिगडा़ तो पतन है।।
सौभाग्य से मिला है क्या जाने कब मिले ,
नरयोनि में ही कटता सदा आवागमन है ।
सेवा ,तपस्या ,त्याग में ही राग हैअनुपम ,
शुभ आचरण ,सदगुण को जगत करता नमन है ।
सच्चाई ,अच्छाई से सुफल इसको बना ले ,
आखिर में साथ जाता सिर्फ तन पे कफन है ।
सुख स्रोत है सभी से सत्य मधुर वचन बोल ,
विष त्याग "कवि बाबूराम "मिथ्या वचन है ।
*************************
बाबूराम सिंह कवि
ग्राम -बड़का खुटहाँ ,पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)
जिला-गोपालगंज (बिहार )
मो0-9572105032
===================
On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾*************************1पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार।परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।।होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण,यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।*************************2गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल।इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।।जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना,निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना।कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा,करती भव से पार, सदा ही सबको गंगा।*************************3जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार।है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।।सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में,वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में।कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग,निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग।*************************बाबूराम सिंह कविग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032*************************मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित।हरि स्मरण।*************************
0 टिप्पणियाँ