आलेख
********************
बोली से बवाल होल बोली से ठिठोली ,
बोलीये से पसीजेला दिल इन्सान के।
बोलीये से मार पीट हो जाला झगरा,
बोलीये से दरशन हो जाला भगवान के।
*************************
बोली में बहुत बड़हन ताकत होला ,निमन -बाउर के पहिचान
बोलीये करावेला। बोली में चारी गो दोष होखेला, झूठ बोलल, जरूरत से अधिका बोलल, केहु के निन्दा क ईल आ अइसन बोलल कि केहु का दुख लागी जा। जाने -अनजाने इ चारी गो पाप बोली से हो जाला, जवना कि कारन बोली के रूप् कुरुप हो जाला आ जब बोली के रूप कुरूप हो जाल तब एकर असरो खतम हो जाला। एही से इ चारी गो दोष (पाप) से आपन बोली बंचा के राखे के चाही, तबे कुछ उ में केहु आगे बढ़ी पावेला। त आइ सभे ए चारी गो पाप से बंचा के आ लूर सहूर से सम्हारी के बोली बोलल जा, आ भोजपुरी भाषा के अजोर सूरजकी कीरन ज इसन चारू ओरी फ इलावल जा। एही की साथे सब भोजपुरीया समाज केराम -राम आ परनाम बाटे ।
आज -काल्ह लोग भोजपुरी बोले में कतराता ,सकुचाता आ लजाता कि भोजपुरी बोलला से हमार शान सौकत आ ओहदा कम हो जाई ,एतने ना अपनी बाल -बच्चा के भी भोजपुरी की जगही अंगरेजी सिखावता कि हमार ल इका आगे जाके बड़हन साहब बनी ,त अइसन क के भोजपुरी के प्रतिस्ठा ना बढ़आवल जा सकेला।मानव के आगे बढ़ला के इतिहास में ,सिच्छा ,कर्मठता आ समाज सेवा में भोजपुरी के गौरवसाली इतिहास बा ।तिर के ताड़ आ राई के परबत बनावे में भी भोजपुरी के कुछ हद तक हाथ बा एके नकारल न इखे जा सकत।
एक समय के बात कि कवनो सरकारी विभाग में पचीस आदमी के भरती रहे ,लेकिन भरती होखे खातीर दुइ सौ आदमी आ ग इल ।भरती करेवाला लोग एगो नियम लगा दिहल कि जे सबसे कम शब्द बोली के अन्दर आइ ओकर
भरती सबसे पहिले होई ।अब लोग जाये लागल केहु हिन्दी बोले केहु अंगरेजी बोले केहु संस्कृत बोले केहु उर्दु बोले लेकिन शब्द ढे़र हो ग इला से केहुके अन्दर जायेके इजाजत ना मिले ।
भोजपुरी वाला लोग जा आ कहे कि ढूकी आ ओकर भरती हो जा ।ओइमें पचीस आदमी के भरती खाली भोजपुरी बोलेवाला के भ इल ।
कहला के मतलब बा कि भोजपुरी भाषा के महिमा बड़हन बा महान बा ।भोजपुरी के परचार -परसार करे खातीर हम सब केहु के भोजपुरी बोलल ,पढ़ल ,लिखल एकदम जरुरी बा आ भोजपुरी बोलला में ही आपन मान सम्मान आ बडप्पन समझल ,बुझल जाउ ,एही से भोजपुरी कल्यान होई ।जय भोजपुरी ।
*************************
बाबूराम सिंह कवि
ग्राम -खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा) जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन-८४१५०८
मो०-९५७२१०५०३२
*************************
On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾*************************1पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार।परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।।होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण,यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।*************************2गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल।इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।।जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना,निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना।कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा,करती भव से पार, सदा ही सबको गंगा।*************************3जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार।है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।।सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में,वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में।कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग,निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग।*************************बाबूराम सिंह कविग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032*************************मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित।हरि स्मरण।*************************
0 टिप्पणियाँ