पर्यावरण


नाम- रंजन कुमार, मुजफ्फरपुर बिहार (भारत)


पर्यावरण

पृथ्वी का आवरण,जो है पर्यावरण
   हो रहा अब इसका हरण
जिससे दूषित हो रहा वातावरण
जीव जंतु भी मर रहे
   जीने का तो पता नहीं
लेकिन लोग साठ के उम्र में
       अपनी जान गंवा रहे
हमें पर्यावरण बचाना है
   अपने आप को साफ़, सुथरा और
   स्वच्छ बनाना है।

पृथ्वी का जान छीन रहा
   इसमें न कोई जात धर्म,
   नहीं देश कोई इकलौता
ये सोचने वाले दूसराें की छोड़
सिर्फ अपना हीं जाल बुन रहा
    पर्यावरण हमारी जान,ये सोच
    अपनी जान बचानी है
दूसरा कुछ भी सोचे,हमको पेड़ लगानी है
और दुनिया को इसके फायदे के बारे में
अच्छी-अच्छी बात बतानी है
  हमें पर्यावरण बचाना है
  पड़ोसियों को साफ़, सुथरा और
स्वच्छ रहने को बताना है।

जनसंख्या पर नियंत्रण चाहिए
हम दो हमारे दो हमें अपनाना हैं
  जल का दुरुपयोग न कर
   इसको कृषि और अच्छे कार्य में लाना है
मिट्टी के कटाई में रोक लगाकर
   इसकी पकड़ को मजबूत बनाना है
स्वछता के अभियान को हमें
पूरी दुनिया में फैलाना है
  हमें पर्यावरण बचाना है,
देशी- विदेशियों को साफ़ सुथरा और
          स्वच्छ बनाना है

पर्यावरण दूषित के कारण
कई बीमारी उभर रहा
  पहले जैसी पीढ़ियों वाली ताकत
  अब किसी के शरीर में कहाॅऺं रहा
खाद बढ़ रही,जहर बढ़ रहा
बढ़ रहा संसार खाई कि ओर
   जाने अंजाने में सब अपने लिए
रहा गड्ढा खोद
कौन समझाए किसको, सबको
ईद का चांद नजर आ रहा
जब उत्पन्न होता बीमारी जैसे कोरोना
तब लोगों के मुंह से निकलता आहा
  हमें पर्यावरण बचाना है
अपने आप को साफ़, सुथरा और
  स्वच्छ बनाना है।

ये आपदा विपदा नहीं,
  सब भ्रष्ट युग का अपभ्रंश है
पर्यावरण संरक्षण क्या होता
   अब किसको आवत है
एक दिन जरूर दूर भागेगा कोरोना
  जब हम स्वछता को अपनाएंगे
घर में रहेंगे, स्वच्छ रहेंगे
पेड़ लगाएंगे,मस्त रहेंगे
    हमें पर्यावरण बचाना है
हमें कारोना से खुद बचकर,
दूसरों को भी बचाना है।

आज पर्यावरण दिवस है
  सभी लोग कसम खाएंगे
कम-से-कम आज एक
  पेड़ जरूर लगाएंगे
कोरोना के साथ सभी बीमारी को
  इस दुनिया से दूर भागाएंगे
हम पर्यावरण बचाएंगे



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