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भारत की रखवाली ,करते जान हथेली पर लेकर ।
देश की खातीर जीते -मरते जानहथेली पर लेकर
आन -बान और शान देश की नही रुकने देते ,
वन्दे मातरम गान तिरंगा झंडा़ नहीं झुकने देते ।
देश हित में फूलते -फरते जान हथेली पर लेकर ।
देश की खातीर जीते मरते जान हथेली पर लेकर
सत्य धर्म व न्याय निति का पावन पथ लेकर ,
विश्व बन्धुत्व का ध्यान भी रखते सर्व सम्मत लेकर
विपरितों को दंडित करते जान हथेली पर लेकर ।
देश की खातीर जीते मरते जान हथेली पर लेकर
बुरे नियत वालों को नाकों चना चबवा देते ,
दुश्मनों को धूल चटा छण भर में छक्का छुडा़ देते
राष्टृ रोग को सदा ही हरते जान हथेली पर लेकर ।
देश की खातीर जीते मरते जान हथेली पर लेकर
सभ्यता संस्कृति अखंड़ता सदा बचा करके ,
हो जाते शहीद हँसकर विष भी पी मुस्काकरके
माँ भारती का वंदन करते जान हथेली पर लेकर ।
देश की खातीर जीते मरते जान हथेली पर लेकर
शत नमन वंदन अभिनंदन है वीर जवानों को ,
मिटने देते कभी नहीं भारत भव्य अरमानों को ।
जोश उत्साह जतन मेंभरते जान हथेली पर लेकर
देश की खातीर जीते मरते जान हथेली पर लेकर
विश्वगुरु गरिमा अछुण बनाते नही खोने देते ,
बाबूराम कवि छवी देश की धुमील नही होने देते ।
अटल दृढ़ पथ से नही टरते जान हथेली पर लेकर
देश की खातीर जीते मरते जान हथेली पर लेकर
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बाबूराम सिंह कवि
ग्राम -बड़का खुटहाँ ,पोस्ट -विजयीपुर ,जिला -गोपालगंज
(बिहार )पिन-८४१५०८
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On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾*************************1पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार।परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।।होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण,यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।*************************2गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल।इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।।जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना,निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना।कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा,करती भव से पार, सदा ही सबको गंगा।*************************3जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार।है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।।सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में,वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में।कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग,निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग।*************************बाबूराम सिंह कविग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032*************************मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित।हरि स्मरण।*************************
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