सावन


सावन

देखो सावन आया कितना मनभावन मौसम आया
ये अपनी अलग ही पहचान के संग के साथ आया ।

गर्मी की तपन से सबको राहत दिलाने आया 
धरा ही नहीं, सबकी  प्यास को बुझाने आया। 

प्राकृति में और ज्यादा हरियाली भरने को आया 
फूलों की खुशबू को और ज्यादा महकने  आया ।

गोरी हरी हरी चूड़ियां के साथ हरी सारी पहनी है 
और अपनी इस सुंदरता से अपने प्रेमी को रिझाया है ।

राधा अपने मोहन के संग बागों में झूला लगाया है 
एक दूसरे को झूला झुलाकर मन को बहलाया है। 

बागों में फूलों पे भंवरा और तितली भी मंडराया है
और अपनी धुनों से पूरे बाग को ही रिझाया है। 

बरसों के बाद फिर ये सावन का मौसम आया है
फिर सभी के मन को लुभाया और ललचाया है ।

सावन की रिमझिम बूंदे ने ऐसे पानी को बरसाया है
 बरसता पानी शरीर पर पड़कर और प्यास जगया है।

देखो आसमान में ऐसे बादल घिरकर छाया है
 मोर ने  मोरनी को ही नहीं इंसान को भी लुभाया है।
©रूपक
Badlavmanch

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