झूठ कपट छल से सजी,जोचलता है राह।।पग पग उसकी जिंदगी, करे उसे गुमराह।

दोहे,,,,8/7/2020
छल
झूठ कपट छल से सजी,जो
चलता है राह।।
पग पग उसकी जिंदगी, करे उसे  गुमराह।।
फूल,,,
बेटी तो मां बाप को,होती फूल समान।।
खुशबू से अपनी रखे,दोनों कुल की आन।।
सूरज,,
मां चंदा की चांदनी,मां सूरज की धूप।।
वक़्तपडे ज्वालामुखी,वक्त़ पड़े जल रूप।।

सौरभ,,,
आसमान सा आज है,भारत का
सम्मान।।
इसका यश सौरभ हमें, जैसे अपनी जान।।

कुचक्र,,,
जब जब फसे  कुचक्र में,,इक सच्चा इंसान।।
मदद करें  उसकी सदा,राम कृष्ण
भगवान।।
वृंदावन राय सरल सागर एमपी

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